यहां गधों पर लगती है लाखों की बोली, जानिए क्यों
यूं तो आपने कई पशु मेले के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी गधों के मेले के बारे सुना है? यूपी के चित्रकूट में मंदाकनी नदी के तट पर लगने वाले इस ऐतिहासिक गधों के मेले में इस बार विभन्न प्रदेशों से लगभग 15 हजार अलग- अलग नस्ल के गधे आते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: October 23, 2017, 11:59 AM IST
यूं तो आपने कई पशु मेलों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या कभी गधों के मेले के बारे सुना है? यूपी के चित्रकूट में मंदाकनी नदी के तट पर लगने वाले इस ऐतिहासिक गधों के मेले में इस बार विभन्न प्रदेशों से लगभग 15 हजार अलग- अलग नस्ल के गधे आए हैं. जहां गधों की बोली लगाई जाती है. ये बोली लाखों तक जाती है.
इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के विभिन्न जिलों के व्यापारी और जरूरतमंद गधों की खरीद-बिक्री करने आते हैं. जहां इन गधों के कद काठी के हिसाब से उनकी बोली 5 हजार से शुरू होकर लाखों तक पहुंच जाती है.
करोड़ों का होता हैं कारोबार
गधा व्यापारी गोरे लाल ने बताया कि इस मेले में तकरीबन 10 करोड़ रुपयों का कारोबार होता है.वहीं गधों की यहां पर अच्छी खाशी कीमत लगती है और चित्रकूट का मेला सब्से अच्छा माना जाता है. यहां काफी दूर-दूर से गधा व्यापारी आते हैं.गधा मेला आयोजक समिति के अध्यक्ष मुन्ना लाल मिश्र ने बताया कि सदियों से चले आ रहे इस मेले में इस बार महंगाई का असर भी नजर आया. अच्छी नस्ल के ऊंची कीमत वाले गधों को खरीददार नहीं मिल रहे है.

क्या हैं मेले की इतिहास
मुन्ना लाल की मानें तो चित्रकूट में गधों का यह ऐतिहासिक मेला है. मुगल शासक औरंगजेब ने मेले का आयोजन करके उसमें आए सबसे शक्तिशाली गधों को अपनी फौज में शामिल किया था तब से लेकर आज तक गधों का मेला चला रहा है. बताया जाता है कि यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा गधा मेले होता है.
फिल्मी कलाकारों और नेताओं का रखा नाम
सबसे दिलचस्प बात ये है कि मेले में आए गधा मालिकों ने बकायादा उनके नाम फिल्मी दुनिया के कलाकारों और नेताओं के नाम पर भी रखे हुए है. जिसे की उस गधें की कीमत ज्यादा लग सके. वहीं तीन दिनों में करोड़ों रूपए का व्यापार इस मेले में होता है.
इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के विभिन्न जिलों के व्यापारी और जरूरतमंद गधों की खरीद-बिक्री करने आते हैं. जहां इन गधों के कद काठी के हिसाब से उनकी बोली 5 हजार से शुरू होकर लाखों तक पहुंच जाती है.
करोड़ों का होता हैं कारोबार
गधा व्यापारी गोरे लाल ने बताया कि इस मेले में तकरीबन 10 करोड़ रुपयों का कारोबार होता है.वहीं गधों की यहां पर अच्छी खाशी कीमत लगती है और चित्रकूट का मेला सब्से अच्छा माना जाता है. यहां काफी दूर-दूर से गधा व्यापारी आते हैं.गधा मेला आयोजक समिति के अध्यक्ष मुन्ना लाल मिश्र ने बताया कि सदियों से चले आ रहे इस मेले में इस बार महंगाई का असर भी नजर आया. अच्छी नस्ल के ऊंची कीमत वाले गधों को खरीददार नहीं मिल रहे है.

गधा मेला आयोजक समिति के अध्यक्ष मुन्ना लाल मिश्र की फोटो.
क्या हैं मेले की इतिहास
मुन्ना लाल की मानें तो चित्रकूट में गधों का यह ऐतिहासिक मेला है. मुगल शासक औरंगजेब ने मेले का आयोजन करके उसमें आए सबसे शक्तिशाली गधों को अपनी फौज में शामिल किया था तब से लेकर आज तक गधों का मेला चला रहा है. बताया जाता है कि यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा गधा मेले होता है.
फिल्मी कलाकारों और नेताओं का रखा नाम
सबसे दिलचस्प बात ये है कि मेले में आए गधा मालिकों ने बकायादा उनके नाम फिल्मी दुनिया के कलाकारों और नेताओं के नाम पर भी रखे हुए है. जिसे की उस गधें की कीमत ज्यादा लग सके. वहीं तीन दिनों में करोड़ों रूपए का व्यापार इस मेले में होता है.