होम /न्यूज /उत्तर प्रदेश /Chitrakoot News : मराठा कालीन बावली और कुआं हुआ खंडहर, आज भी किला बाग नाम से प्रसिद्ध

Chitrakoot News : मराठा कालीन बावली और कुआं हुआ खंडहर, आज भी किला बाग नाम से प्रसिद्ध

चित्रकूट में यह कभी किला बाग के नाम से जाना जाता था. और इसका निर्माण मराठा कालीन नारायणराव पेशवा ने किसानो के लिए बनवाय ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- धीरेन्द्र शुक्ला

चित्रकूट : बुन्देलखण्ड के चित्रकूट में एक ऐसी इमारत है जिसको किला बाग कहा जाता है. इस किला बाग को मराठा कालीन किला कहते हैं. इस किला बाग की बावली और कुंए से मराठा काल में सिंचाई के लिए पानी दिया करते थे. जिससे किसान अपनी खेती को हरी-भरी करता था.

एक वक्त ऐसा आया कि जब सूखा पड़ने की वजह से किसानों को पानी की बहुत जरूरत पड़ गई – तब सूखे से बचाने के लिए पानी यहीं से दिया गया और तब से ही यह किला बाग बावली मशहूर हो गई. उस समय यह माना जाता था कि यह बावली कभी सूखती नहीं है. समय बीत गया और इस किला बाग बवली को पुरातत्व विभाग ने अपने पास ले लिया लेकिन इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

कुएं का पानी सूख गया है सीढ़ियां कचरे से भरा चुकी है और नगरपालिका का कचरा इस बावली के कुंए के अंदर जा रहा है. कचरा जाने की वजह से मराठा कालीन किला बाग का अस्तित्व खतरे में है. जब जानकारी हुई तो आनन-फानन में यहां पर प्रशासन बुलडोजर चला रहा है और मनमानी सफाई कर रहा है, जिससे पुरातात्विक महत्व की चीजें खराब हो रही है . लेकिन पुरातत्व विभाग को कुछ ज्ञात नहीं है और वह नींद में है.

किसने कराया था किलाबाग का निर्माण ?

मराठा कालीन किला बाग आज पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है. इस किला बाग का निर्माण मराठा कालीन राजा नारायण राव पेशवा ने कराया था था. यह किला बाग पर्यटन के लिहाज से बेहद खास है. यदि पुरातत्व विभाग इसे साफ सुथरा रखता तो लोग दूरदराज से आकर बावली और कुंए को देखते. चित्रकूट में मराठा कालीन बने इस किलाबाग को लोग आज भी देखना चाहते हैं. बावली और कुंए के पास एक हनुमान मंदिर भी है जिसमें गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि चित्रकूट में नगर पालिका इतनी लापरवाह कैसे हो गई है और पुरातत्व विभाग आखिर इस पर बिल्कुल भी ध्यान क्यों नहीं दे रहा है?

पुराने समय में जब किसान सूखे से परेशान थे तब इस क्षेत्र में नारायणराव पेशवा द्वारा बनवाई गई इसी बावली और कुंए से किसानों को पानी दिया गया था और उनकी फसल बेहतर हुई थी. लेकिन आज इसमें पानी नहीं है आखिर इसकी ऐसी दुर्दशा क्यों और कैसे हुई यह बड़ा सवाल खड़ा होता है?

सबसे बड़ी बात यह भी है कि मराठा कालीन में नारायणराव पेशवा इसी बावली और कुआं से किसानों के लिए पानी का इंतजाम हुआ करता था. तभी किसानों की फसल अच्छी हुआ करती थी. लेकिन आज की बात करें तो कुवा और बावली में बिलकुल भी पानी नही है.

Tags: Chitrakoot News, Uttarpradesh news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें