यहां मनती है 5 दिन दिवाली, लंका विजय के बाद पहले यहां आए थे भगवान राम

चित्रकूट में दीपावली का विशेष महत्व है. (File Photo: Getty Images)
राम के चित्रकूट आने की ख़ुशी में लोगों ने सबसे पहले दीप जलाकर दीपावली मनाई. आज भी लाखों की संख्या में लोग राम की इस नगरी में दीपावली के एक दिन पहले ही दीपदान करने आते हैं.
- ETV UP/Uttarakhand
- Last Updated: October 19, 2017, 5:10 PM IST
चित्रकूट में दीपावली का विशेष महत्व है. भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के 14 वर्षों में से साढ़े 11 साल चित्रकूट में ही गुजारे थे. लंका विजय के बाद अयोध्या जाते समय राम पहले चित्रकूट आए और यहां के साधू-संतों का आशीर्वाद लिया था.
राम के चित्रकूट आने की ख़ुशी में लोगों ने सबसे पहले दीप जलाकर दीपावली मनाई. आज भी लाखों की संख्या में लोग राम की इस नगरी में दीपावली के एक दिन पहले ही दीपदान करने आते हैं.
यहां अब पांच दिन का दीपावली मेला लगता है. इन पांच दिनों में देश भर से करीब 30 से 40 लाख लोगों के आने की उम्मीद है. श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए रेल और परिवहन विभाग ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं.
लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन विशेष व्यवस्था की है. बाहरी जिलों से भी पुलिस बल तैनात किया गया है. मेले की चाक चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को चित्रकूट के जिलाधिकारी और पुलिस के उच्चाधिकारियों ने दिशा निर्देश दिए.कहा जाता है कि राम तो अयोध्या लौट गए लेकिन चित्रकूट में साधु-संत कई दिनों तक राम की विजय और वनवास ख़त्म होने का उत्सव मानते रहे. यही कारण है की आज भी अपना घर बार छोड़ लाखों लोग दीपावली मनाने चित्रकूट आते हैं.
यहां की मन्दाकिनी की पावन धारा में डुबकी लगाकर कामदगिरी की परिक्रमा और दीपदान कर भगवान राम के मनचाहा वरदान पा अपने जीवन के अधेरे को दूर भागते हैं.
(रिपोर्ट: अखिलेश सोनकर)
राम के चित्रकूट आने की ख़ुशी में लोगों ने सबसे पहले दीप जलाकर दीपावली मनाई. आज भी लाखों की संख्या में लोग राम की इस नगरी में दीपावली के एक दिन पहले ही दीपदान करने आते हैं.
यहां अब पांच दिन का दीपावली मेला लगता है. इन पांच दिनों में देश भर से करीब 30 से 40 लाख लोगों के आने की उम्मीद है. श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए रेल और परिवहन विभाग ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं.
लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन विशेष व्यवस्था की है. बाहरी जिलों से भी पुलिस बल तैनात किया गया है. मेले की चाक चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को चित्रकूट के जिलाधिकारी और पुलिस के उच्चाधिकारियों ने दिशा निर्देश दिए.कहा जाता है कि राम तो अयोध्या लौट गए लेकिन चित्रकूट में साधु-संत कई दिनों तक राम की विजय और वनवास ख़त्म होने का उत्सव मानते रहे. यही कारण है की आज भी अपना घर बार छोड़ लाखों लोग दीपावली मनाने चित्रकूट आते हैं.
यहां की मन्दाकिनी की पावन धारा में डुबकी लगाकर कामदगिरी की परिक्रमा और दीपदान कर भगवान राम के मनचाहा वरदान पा अपने जीवन के अधेरे को दूर भागते हैं.
(रिपोर्ट: अखिलेश सोनकर)