आस्था या अंधविश्वास: देवी मां को खुश करने के लिए लोहे की सरिया से छिदवाते हैं मुंह
चैत्र माह की नवरात्रि की नवमी को गांव में जवारे निकले जाते हैं. इन जवारों में देवी मैय्या की झांकियों के आगे चल रहे सैकड़ों हजारों भक्त मैया के सामने सांग छेद कर चलते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 26, 2018, 11:47 PM IST
देवी मां को खुश करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते रहते हैं, मगर उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड इलाके के भक्त मैय्या को मानाने के लिए अनोखा तरीका अपनाते हैं. यह लोग खौफनाक ढंग से अपने मुंह में लोहे की सरिया को गालों के आर पार कर कर देते हैं.
लोहे की 20 से 50 फीट लम्बी नुकीली लोहे की सरिया को धार्मिक भाषा में 'सांग' कहते हैं. भक्त मैय्या का जयकारा लगा कर यह सांग अपने गलों के आर पार कर लेते हैं. चैत्र माह की नवरात्रि की नवमी को गांव में जवारे निकाले जाते हैं. इन जवारों में देवी मैय्या की झांकियों के आगे चल रहे सैकड़ों भक्त मैय्या के सामने सांग छेद कर चलते हैं. एक-एक आदमी अपने शरीर में पांच -छह जगह सांग छिदवा लेता है.
महेश्वरी देवी, चौरा देवी माई मंदिर से जवारा जुलूस शुरू होता है. जिसमें सिरों पर जवारे लिए महिलाओं की टोलियां चलती हैं. इसके आगे-आगे युवा सांग धारण कर के चलते हैं. सांग देवी जी का एक शस्त्र है. जिससे मैय्या ने दुष्टों का संहार किया था. अगर एक सुई चुभ जाए तो खून निकल आता है. लेकिन भक्ति में डूबे इन लोगों को तनिक भी दर्द का अहसास नहीं होता.
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लोहे की 20 से 50 फीट लम्बी नुकीली लोहे की सरिया को धार्मिक भाषा में 'सांग' कहते हैं. भक्त मैय्या का जयकारा लगा कर यह सांग अपने गलों के आर पार कर लेते हैं. चैत्र माह की नवरात्रि की नवमी को गांव में जवारे निकाले जाते हैं. इन जवारों में देवी मैय्या की झांकियों के आगे चल रहे सैकड़ों भक्त मैय्या के सामने सांग छेद कर चलते हैं. एक-एक आदमी अपने शरीर में पांच -छह जगह सांग छिदवा लेता है.
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