देवरिया. सलेमपुर विधानसभा सीट उन बिरले सीटों में से एक है, जहां गठन के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत मिली थी. पहला चुनाव भाजपा ने 1980 में लड़ा था. उसके प्रत्याशी दुर्गा प्रसाद मिश्र ने यहां जीत दर्ज की थी. इसके बाद उसे दोबारा जीतने में 37 साल लग गए. 2017 की मोदी लहर में काली प्रसाद ने जीत दिलाई. सलेमपुर सीट पहले सामान्य थी, 2008 के परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई.
सलेमपुर में पहला चुनाव 1967 में हुआ था. पहले दो चुनाव कांग्रेस ने जीता था. इसके बाद सोशलिस्ट पार्टी के पास यह सीट चली गई. आखिरी बार 1985 में यहां कांग्रेस जीत पाई थी. 1989 और 91 में जनता दल, 1993 से लेकर तीन लगातार चुनाव बसपा ने जीता, 2007 में यह सीट सपा के पास चली गई. 2012 में भी सपा ही जीती थी. आरक्षित होने से पहले तक लगातार दस साल तक इस सीट पर गजाला लारी विधायक रही थीं. आरक्षित होने के बाद वह रामपुर कारखाना चली गईं.
2017 का परिणाम
भाजपा के काली प्रसाद को 76175 वोट मिले थे. उन्होंने सपा की विजय लक्ष्मी गौतम को 25654 वोट से हराया था. विजय लक्ष्मी ने 2012 का चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा था. तब भी वह सपा के मनबोध से हार गई थीं.
जातीय समीकरण
3.25 लाख मतदाताओं वाली सलेमपुर सुरक्षित विधानसभा सीट पर दलित वोटर करीब 46 हजार, यादव 41 हजार, मुस्लिम 39 हजार, ब्राह्मण 38 हजार, वैश्य 28 हजार, कुशवाहा वोटर 24 हजार और क्षत्रिय वोटर करीब 22 हजार हैं.
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