कृषि कानून: कठेरिया का मुलायम पर तंज, कहा- समाजवादी पार्टी में नहीं बचा अब कोई किसान

बीजेपी के सांसद रामशंकर कठेरिया ने मुलायम सिंह के बहाने कृषि कानूनों का समर्थन करने वाली समाजवादी पार्टी पर तंज कसा है (फाइल फोटो)
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सांसद रामशंकर कठेरिया (Ramshankar Katheria) ने कहा कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) वास्तव में धरतीपुत्र हैं लेकिन आज उनके साथ कोई किसान नहीं है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) आज किसान मुक्त पार्टी हो गई है
- News18Hindi
- Last Updated: December 14, 2020, 5:36 PM IST
इटावा. किसानों का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और इटावा (Etawah) से बीजेपी के सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया (Ramshankar Katheria) ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) वास्तव में धरतीपुत्र हैं, लेकिन आज उनके साथ कोई किसान नहीं है, समाजवादी पार्टी आज किसान मुक्त पार्टी हो गई है. सोमवार को सिंचाई विभाग के सर्किट हाउस में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कठेरिया ने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव वास्तव में धरतीपुत्र हैं लेकिन आज उनके साथ कोई किसान नहीं है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलनरत समाजवादी पार्टी के साथ अब कोई भी किसान नहीं है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए हर हाल में फायदेमंद है लेकिन इसके संदर्भ में देश में विरोधी माहौल बनाया जा रहा है.
कठेरिया ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, अनेक प्रकार की योजनाओं और सेवाओं को शुरू कर रही है जिसके माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगी और उनकी आय बढ़ेगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने नया कृषि कानून बनाया है जो किसानों की फसल, बाजार, फसल मूल्य और बाजार मूल्य आदि से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के हित में लाया गया कृषि कानून अवश्य ही भारत के विकास की दिशा और दशा को निर्धारित करेगा.
'यूपीए सरकार भी करना चाहती थी मंडी एक्ट में बदलाव'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन कानूनों का विरोध कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां कर रही हैं, यूपीए सरकार में कांग्रेस के वित्त मंत्री ने खुद कबूल किया था कि मंडी एक्ट में बदलाव की आवश्यकता है, और जब उन्हीं बदलावों को आज केंद्र सरकार कर रही है तो कांग्रेस सरकार समेत विरोधी दल किसानों को भ्रमित कर अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए आंदोलन करवा रहे हैं. किसान आंदोलन में लगने वाले देश विरोधी नारे, प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग, खलिस्तान और पाकिस्तान समर्थन में लग रहे नारे खुद-ब-खुद इसे अलोकतांत्रिक आंदोलन बना रहे हैं.
किसानों के विरोधी कहे जाने वाले कृषि कानून 2020 का जिक्र करते हुए कठेरिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को देश में कहीं भी फसल बेचने को आजादी दी है. जिससे राज्यों के बीच कारोबार बढ़ेगा, मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन पर भी खर्च कम होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविजन किया गया है. यह कानून कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टरों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है. कांट्रेक्टेड किसानों को क्वालिटी वाले बीज की सप्लाई यकीनी करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलियत और फसल बीमा की सुविधा मुहैया कराई गई है.
रामशंकर कठेरिया ने यह भी कहा कि इस कानून में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्याज को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाने का प्रावधान रखा गया है जिससे किसानों को इनकी अच्छी कीमत मिले.
कठेरिया ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, अनेक प्रकार की योजनाओं और सेवाओं को शुरू कर रही है जिसके माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगी और उनकी आय बढ़ेगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने नया कृषि कानून बनाया है जो किसानों की फसल, बाजार, फसल मूल्य और बाजार मूल्य आदि से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के हित में लाया गया कृषि कानून अवश्य ही भारत के विकास की दिशा और दशा को निर्धारित करेगा.
'यूपीए सरकार भी करना चाहती थी मंडी एक्ट में बदलाव'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन कानूनों का विरोध कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां कर रही हैं, यूपीए सरकार में कांग्रेस के वित्त मंत्री ने खुद कबूल किया था कि मंडी एक्ट में बदलाव की आवश्यकता है, और जब उन्हीं बदलावों को आज केंद्र सरकार कर रही है तो कांग्रेस सरकार समेत विरोधी दल किसानों को भ्रमित कर अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए आंदोलन करवा रहे हैं. किसान आंदोलन में लगने वाले देश विरोधी नारे, प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग, खलिस्तान और पाकिस्तान समर्थन में लग रहे नारे खुद-ब-खुद इसे अलोकतांत्रिक आंदोलन बना रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और इटावा से बीजेपी के सांसद रामशंकर कठेरिया
किसानों के विरोधी कहे जाने वाले कृषि कानून 2020 का जिक्र करते हुए कठेरिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को देश में कहीं भी फसल बेचने को आजादी दी है. जिससे राज्यों के बीच कारोबार बढ़ेगा, मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन पर भी खर्च कम होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविजन किया गया है. यह कानून कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टरों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है. कांट्रेक्टेड किसानों को क्वालिटी वाले बीज की सप्लाई यकीनी करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलियत और फसल बीमा की सुविधा मुहैया कराई गई है.
रामशंकर कठेरिया ने यह भी कहा कि इस कानून में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्याज को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाने का प्रावधान रखा गया है जिससे किसानों को इनकी अच्छी कीमत मिले.