इटावा. पवनपुत्र बंजरगबली के चमत्कारों के किस्से दुनिया भर मे मशहूर हैं, लेकिन महाभारत कालीन सभ्यता से जुडे़ उत्तर प्रदेश मे इटावा के बीहड़ों में स्थित पिलुआ महावीर मंदिर की हनुमान मूर्ति सैकड़ों सालों से उनके जिंदा होने का एहसास कराती नजर आ रही है. मंगलवार को हनुमान जयंती पर बजरंगबली के मंदिरों में पूजा अर्चना की जा रही है. कोविड के असर के कारण मंदिर मे सामान्य दिनों की तरह पूजा अर्चना नहीं की जा रही है. हनुमान मंदिर के मुख्य मंहत धर्मेंद्र दास का कहना है कि वैसे तो हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद में भी है, लेकिन जैसी मूर्ति यहां पर है ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में नहीं है.
हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है. कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है. आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां हैं. महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की मानें तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है. कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं. इटावा के केके काॅलेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे हुए है, लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नहीं लगा पाया कि इसके मुखार बिंदु में प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है.
भक्तों का दावा
इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा. हनुमान भक्तो का यह भी दावा है कि हनुमान जी इस मंदिर में जीवित अवस्था में हैं. तभी एकांत में सुनने पर प्रतिमा से सांसें चलने की आवाज सुनाई देती है. बताया जाता है कि हनुमान जी के मुख से राम नाम की ध्वनि भी सुनाई देती है. बजरंगबली के ऐसे चमत्कारों के बारे में सुनकर एवं देखकर लोगों का विश्वास उनमें और भी ज्यादा बढ़ जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी बजरंगबली के दर्शन करता है, उसके जीवन में कभी कष्ट नहीं आते हैं. हनुमान जी की मूूर्ति इतनी प्रभावशाली है कि इनकी आंखों में देखते ही लोगों की परेशानियां हल हो जाती हैं. इन्हें लगाया जाने वाला कई गुणा भोग भी इनके उदर को नहीं भर पाता है. यमुना नदी के किनारे बसे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े यहां के बीहड में बंजरगबली के मंदिर मे हनुमान जी की एक ऐसी मूर्ति स्थापित है, जिसके चमत्कार के आगे हर कोई नतमस्तक है.
हार गया राजा
इस मूर्ति के उदगम के बारे में कहा जाता है कि प्रतापनेर के राजा हुक्म तेजप्रताप सिंह को ऐसा सपना आया, जिसमें इस मूर्ति के इसी स्थान पर निकले होने की बात बताई गई. जिसके बाद राजा ने इस मूर्ति को अपने महल में काबिज करने की कोशिश की, लेकिन राजा हार गया और हनुमान जी की मूर्ति आज अपने स्वरूप में हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यह चमत्कारिक मंदिर चैहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया. यहां पर महाबली हनुमान की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की मानें तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है.यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में महाबली हनुमान जी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित नहीं है.
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Tags: Etawah District Panchayat, Uttar pradesh news
FIRST PUBLISHED : April 27, 2021, 12:31 IST