धर्मेंद्र यादव हमेशा से ही सपा का एक जाना पहचाना चेहरा रहे हैं और एक बार फिर आजमगढ़ में समाजवादी झंडा बुलंद करने के लिए लोकसभा उपचुनाव में उन्हें मैदान में उतारा गया है.
इटावा. समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के लोकसभा उप चुनाव में अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव पर भरोसा जताया है. जिले में सक्रिय समाजवादी पार्टी के तमाम छोटे बडे़ राजनेताओं ने अखिलेश से डिंपल या धर्मेंद्र यादव में से किसी एक को चुनाव मैदान मे उतारने की बात कही थी. अब आखिरी मौके पर बाजी धर्मेंद्र यादव के पक्ष मे आ खड़ी हुई. इसी के तहत धर्मेंद्र यादव को समाजवादी पाटी ने उप चुनाव में उम्मीदवार बना कर मैदान में उतार दिया. नामांकन के आखिरी दिन आज धर्मेंद्र यादव ने भी पर्चा भर दिया. समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव की छोड़ी गई इस सीट पर धर्मेंद्र के जरिये एक बार फिर से समाजवादी पताका फहराने की तैयारी में है. जब कि उनके सामने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा के गुडडू जमाली हैं.
इसलिए आए सैफई
धर्मेंद्र यादव के बारे में कहा जाता है कि वो इलाहबाद में रह कर अपनी पढ़ाई करने में जुटे हुए थे. लेकिन 13 अक्तूबर 2002 को उनके ताऊ रतन सिंह यादव के बेटे रणवीर सिंह यादव की अचानक मौत हो गई. जिसके बाद नेता जी मुलायम सिंह यादव ने धर्मेंद्र यादव को सैफई वापस बुला लिया. चूंकि रणवीर सिंह यादव निधन के समय सैफई के ब्लॉक प्रमुख थे, ऐसे में ब्लॉक की व्यवस्था देखने के लिए धर्मेद्र को बुलाया गया.
धर्मेंद्र यादव पहले मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं और अब उन्हें आजमगढ़ संसदीय उप चुनाव मे उतारा गया है. धर्मेंद्र यादव ने 2017 में शिवपाल यादव बनाम अखिलेश यादव के मतभेद में भी अहम भूमिका निभाई थी और बताया जाता है कि उन्होंने कई नेताओं को अखिलेश यादव के पाले में रखा था.
धर्मेंद्र यादव, मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के बेटे हैं. धर्मेंद्र यादव का जन्म 3 फरवरी 1979 को हुआ था और उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से राजनीतिशास्त्र से पीजी और एलएलबी की पढ़ाई की है. धर्मेंद्र यादव छात्र राजनीति के दिनों से ही सक्रिय हो गए थे.
मैनपुरी से बने सांसद
साल 2004 मे धर्मेंद्र यादव ने मैनपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ कर जीत भी दर्ज की. इस वक्त प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी की सरकार थी लेकिन 2007 में समाजवादी पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा और बहुजन समाज पार्टी सत्ता में आ गई. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं भेजा गया. मैनपुरी से बदायूं गए धर्मेंद्र यादव ने 2009 और 2014 में यहां से भी जीत दर्ज की लेकिन, साल 2019 में यहां से बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ. संघमित्र मौर्य को चुनावी मैदान में उतारा था और धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा.
बताया जाता है कि धर्मेंद्र यादव 2019 में हार के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. ब्लॉक प्रमुख के तौर पर कॅरियर की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र ने 2004 में मैनपुरी में हुए उपचुनाव को जीता. समाजवादी पार्टी ने 2009 के चुनाव में उन्हें बदायूं का टिकट दिया और उन्होंने यहां रिकॉर्ड जीत दर्ज की. 2014 में भी उन्होंने यहां पर परचम लहराया.
कुछ खास जानकारी
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