फैजाबाद के राम भवन में रहने वाले गुमनामी बाबा आखिरकार गुमनाम ही रह गए. जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे या नहीं इसकी पुष्टि नहीं कर सकते. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुमनामी बाबा अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे तो फिर कौन थे? उनकी पहचान क्या थी? नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने आयोग और सरकार से पहले ही मांग की थी कि जांच करने वाली एजेंसियां यह बताएं कि आखिर गुमनामी बाबा कौन थे? उनके पास से मिलने वाले सामान किसके थे?
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में जस्टिस विष्णु सहाय की रिपोर्ट पेश की गई और यह फैसला किया गया कि विधानसभा के अगले सत्र में इस रिपोर्ट को सार्वजानिक किया जाएगा. प्रारंभिक तौर पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज विष्णु सहाय की अध्यक्षता में गठित 1 सदस्य जांच आयोग ने यह भी कह दिया कि सुभाष चंद्र बोस फैजाबाद के गुमनामी बाबा नहीं थे. लेकिन क्या सिर्फ यह कह देने से गुमनामी बाबा के रहस्य से पर्दा उठ गया. सबसे बड़ा सवाल आज भी जिंदा है कि अगर फैजाबाद में रहने वाले गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे तो आखिरकार उस शख्स की पहचान क्या थी? ये सवाल उठाया है सुभाष चंद्र बोस विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने.
बताते चलें कि शक्ति सिंह वही शख्सियत है जिनके घर राम भवन में गुमनामी बाबा रहा करते थे और अपने जीवन के अंतिम समय में गुमनामी बाबा ने राम भवन के कमरे में ही अपना वक्त बिताया और अंतिम सांस ली. 23 सितंबर 1985 को सरयू तट के गुप्तार घाट में उनका अंतिम संस्कार हुआ था. तब से लेकर आज तक शक्ति सिंह गुमनामी बाबा की असल पहचान उजागर करने की मांग को लेकर संघर्ष करते चले आ रहे हैं.
शक्ति सिंह ने कहा कि जस्टिस सहाय आयोग की इस रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है. न्यायालय ने यह निर्देशित किया था कि वैज्ञानिक रूप से आयोग यह बताए कि आखिरकार गुमनामी बाबा कौन थे? 276 सामान जिस व्यक्ति के पास से मिले उस व्यक्ति की पहचान क्या थी? जो व्यक्ति जिला प्रशासन और पुलिस की निगरानी में फैजाबाद के राम भवन में रहता था वह व्यक्ति कौन था? इस सवाल से आज भी पर्दा नहीं उठ सका है. हमारा सवाल शुरू से यही रहा कि सरकार और जांच एजेंसियां यह स्पष्ट करें कि गुमनामी बाबा आखिर कौन थे?
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FIRST PUBLISHED : July 25, 2019, 09:00 IST