कुशीनगर के रहने वाले हैं नागा कुशवाहा (Photo ashok shukla)
गन्ना और हल्दी पैदा करने वाले यूपी के कुशीनगर जिले के किसान नागा कुशवाहा ने पूर्वांचल ग्रामीण बैंक में पत्र देकर कहा, नहीं चाहिए कर्जमाफी योजना का फायदा, फसल अच्छी हुई है खुद चुकाउंगा कर्ज!
कृषि कर्जमाफी वाले राजनीतिक एजेंडे के दौर में कुशीनगर (यूपी) के पृथ्वीपुर गांव में एक ऐसा किसान है जिसे कर्जमाफीनहीं चाहिए. इसके लिए उन्होंने बाकायदा अपने बैंक को पत्र दिया था. ईमानदारी से एक कर्ज चुकाया और दूसरा ले लिया. इस किसान का नाम है नागा कुशवाहा, जिनका मानना है कि कर्ज माफ करवाने के बाद सरकार किसी न किसी रास्ते उस पैसे को हम से ही लेगी, ऐसे में क्यों न कर्ज चुका कर बैंक में अपना क्रेडिट ठीक रखा जाए ताकि जरूरत पड़ने पर फिर से बैंक खुशी-खुशी पैसा दे सके. (ये भी पढ़ें: कैसे दोगुनी होगी 'अन्नदाता' की आय?)
नागा तमकुहीराज तहसील के दुदही ब्लॉक के पृथ्वीपुर के रहने वाले हैं. उनके खेत पृथ्वीपुर, विशुनपुर बारिया पट्टी और मठिया भोकरीया में हैं. उन्होंने पूर्वांचल ग्रामीण बैंक की दुदही शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज लिया था, जिसका 1 लाख 6 हजार रुपये बकाया था. यह रकम यूपी की कर्जमाफी योजना के दायरे में आ रही थी. वह चाहते तो कर्ज माफ करवा लेते, लेकिन उन्होंने बैंक में पत्र देकर कर्जमाफी का फायदा लेने से मना कर दिया. कुशीनगर के पत्रकार अशोक शुक्ला के मुताबिक, ब्रांच मैनेजर राजेश कुमार गुप्ता ने नागा के इस हौसले की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि यह ऐतिहासिक फैसला है.
सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का रोडमैप तैयार किया है
नागा ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि 1.06 लाख रुपये का लोन चुका कर उन्होंने फिर से 99 हजार रुपये का कर्ज ले लिया है. नागा ने बताया कि उनके पास तीन बीघा खेत है. वह उसमें गन्ना और हल्दी की खेती करते हैं. कुशवाहा का कहना है कि कभी किसी का एक पैसा मारा नहीं तो फिर सरकार का क्यों लेकर बैठें? कर्ज नहीं चुकाएंगे तो भी उसका भार कहीं न कहीं आकर हम जैसे लोगों पर ही पड़ेगा, इसलिए बेहतर है कि कर्ज चुका कर शान से रहा जाए.
नागा ने बैंक को पत्र देकर कहा है कि मुझे अपनी मेहनत पर भरोसा है, मैं कर्ज खुद लौटाउंगा, कर्ज माफ करने की जरूरत नहीं. कुशवाहा जैसे किसान सरकार की उस मुहिम का आइकॉन बन सकते हैं, जिसमें वह चाहती है कि किसान कर्जमाफी के भरोसे न रहें बल्कि आय बढ़ाकर ईमानदारी से कर्ज चुकाएं. किसान कर्जमाफी के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. सड़क पर उतर रहे हैं. वे दिनोंदिन राजनीतिक दलों के लिए औजार बनते जा रहे हैं, ऐसे समय में धारा के विपरीत चलकर नागा कुशवाहा ने हिम्मत का काम किया है.
कृषि कर्जमाफी को लेकर आंदोलन बढ़ रहे हैं
31 मार्च 2017 तक के आंकड़ों की बात करें तो देश में 14,36,799 करोड़ रुपये का किसानों का कर्ज बकाया है. ऐसे में अगर एक साथ देश भर में कर्जमाफी की जाए तो अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए पीएम मोदी चाहते हैं कि किसानों को कर्जदार बनाने की जगह उनकी आय बढ़ाने की कोशिश की जाए. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कृषि कर्जमाफी का विरोध करते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे मुद्दे चुनावी वादों में शामिल नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे न केवल कृषि क्षेत्र में निवेश को नुकसान पहुंचता है, बल्कि ऐसा करने से देश की अर्थव्यवस्था पर भी दबाव पड़ता है. इस समय हर किसान परिवार पर औसतन 47 हजार रुपए का कर्ज है.