फर्रुखाबाद में राजकीय गौ सदन उपेक्षा का शिकार, 11 गोवंश की हो चुकी है मौत
गो सदन का आलम यह है कि यहां सरकार की तरफ आये आदेश के बाद शहर क्षेत्र से आवारा गोवंश को पकड़कर बन्द किया जा रहा है. इस गो सदन में मौजूदा समय मे 209 गोवंश बन्द हैं. जिनमें 56 गायें, 96 सांड औऱ शेष बछड़ा बछिया है.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: November 13, 2018, 9:17 PM IST
फर्रुखाबाद में बीते लगभग चार दशक से थाना मऊदरवाजा क्षेत्र में चल रहा राजकीय गौ सदन एक हजार बीघा भूमि का मालिक होने के बाद भी गरीब है. गौसदन का भवन अपनी उपेक्षा की कहानी चीख-चीख कर कह रहा है, लेकिन उस तरफ शासन प्रशासन का कोई ध्यान नही है. इस गौसदन कटरी धर्मपुर में खुरपका व मुंहपका बीमारी फैलने से आठ दिन के भीतर 11 गायों को मौत हो चुकी है.कई गोवंश बीमार चल रहे हैं.
पशु चिकित्साधिकारी के अधीन आने वाले इस गो सदन में बंद गोवंश को समुचित इलाज न मिल पाने से रोज एक दो गाय ने दम तोड़ रही है. गो सदन का आलम यह है कि यहां सरकार की तरफ आये आदेश के बाद शहर क्षेत्र से आवारा गोवंश को पकड़कर बन्द किया जा रहा है. इस गो सदन में मौजूदा समय मे 209 गोवंश बन्द हैं. जिनमें 56 गायें, 96 सांड औऱ शेष बछड़ा बछिया है.
गोवंश के खाने के लिए सूखा भूसा डाला जा रहा है. पीने के पानी की भी सही व्यवस्था नहीं है. पकड़े जाने के दौरान गोवंश घायल हो जाते हैं. किसी के सींग टूट गए, तो किसी के शरीर पर घाव हो गए हैं. इनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दो सांड़ों की मौत हो गयी है.
सबसे खास बात यह है कि इस गो सदन में पांच कर्मचारी मौजूद है. इस गो सदन की हजारों बीघा भूमि पर प्रबन्धक ने किसानों से पैसा लेकर कब्जा करवा दिया है. न यहां प्रबन्धक आते हैं और न ही कोई अधिकारी यहां बन्द गोवंश की खबर लेने आता है. यहां फैली बीमारी की वजह से दर्जनों गोवंश बीमार हैं और कई की मौत हो चुकी है. (रिपोर्ट- सूर्या बाजपेई)ये भी पढ़ें:
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पशु चिकित्साधिकारी के अधीन आने वाले इस गो सदन में बंद गोवंश को समुचित इलाज न मिल पाने से रोज एक दो गाय ने दम तोड़ रही है. गो सदन का आलम यह है कि यहां सरकार की तरफ आये आदेश के बाद शहर क्षेत्र से आवारा गोवंश को पकड़कर बन्द किया जा रहा है. इस गो सदन में मौजूदा समय मे 209 गोवंश बन्द हैं. जिनमें 56 गायें, 96 सांड औऱ शेष बछड़ा बछिया है.
गोवंश के खाने के लिए सूखा भूसा डाला जा रहा है. पीने के पानी की भी सही व्यवस्था नहीं है. पकड़े जाने के दौरान गोवंश घायल हो जाते हैं. किसी के सींग टूट गए, तो किसी के शरीर पर घाव हो गए हैं. इनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दो सांड़ों की मौत हो गयी है.
सबसे खास बात यह है कि इस गो सदन में पांच कर्मचारी मौजूद है. इस गो सदन की हजारों बीघा भूमि पर प्रबन्धक ने किसानों से पैसा लेकर कब्जा करवा दिया है. न यहां प्रबन्धक आते हैं और न ही कोई अधिकारी यहां बन्द गोवंश की खबर लेने आता है. यहां फैली बीमारी की वजह से दर्जनों गोवंश बीमार हैं और कई की मौत हो चुकी है. (रिपोर्ट- सूर्या बाजपेई)ये भी पढ़ें:
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