पात्र-अपात्र के बीच में उलझी बहनजी की काशीराम आवास योजना

पात्र-अपात्र के बीच में उलझी बहनजी की काशीराम आवास योजना
सियासत ने करवट ली तो काशीराम कॉलोनी में रहने वाले गरीबों पर निज़ाम की नजरें टेढ़ी हो गयी हैं. 10 दिन में 426 गरीबों को मकान खाली करने के नोटिस जारी किये जा चुके हैं. कॉलोनी के हर ब्लाक में नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं. फिलहाल लोग गुस्से में हैं और मरने-मारने को तैयार हैं मगर कोई भी मकान छोड़कर जाने को तैयार नहीं है.
- Last Updated: October 26, 2017, 10:58 PM IST
सियासत ने करवट ली तो काशीराम कॉलोनी में रहने वाले गरीबों पर निज़ाम की नजरें टेढ़ी हो गयी हैं. 10 दिन में 426 गरीबों को मकान खाली करने के नोटिस जारी किये जा चुके हैं. कॉलोनी के हर ब्लाक में नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं. फिलहाल लोग गुस्से में हैं और मरने-मारने को तैयार हैं मगर कोई भी मकान छोड़कर जाने को तैयार नहीं है. वर्ष 2010 में बसपा सरकार ने फर्रुखाबाद में गरीबों के लिए 1500 काशीराम आवास बनवाये थे. अभी तक की जांच में टाउन हॉल और हैवतपुर गढ़िया की काशीराम कॉलोनी में 426 लोगों को मकान खाली करने के लिए नोटिस जारी किये जा चुके हैं. आरोप है कि इन मकानों में या तो आवंटित लोगों के बजाय दूसरे लोग रह रहे हैं या मकानों में ताले लगे हुए हैं.
जिस आधार पर लोगों को आवास आवंटित करने चाहिए थे वह नहीं किये गए. दूसरी तरफ जिन लोगों को आवास मिलने चाहिए थे नहीं मिले. जिसका फायदा डूडा के अधिकारियों व दलालों ने उठाया और फर्जी तरीके से पैसे लेकर आवंटन कर दिया. उसके साथ साथ जो रिकॉर्ड है उनमें उनके नामों को सम्मलित नहीं किया गया. बहुत से लोगों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने अपने-अपने प्रमाण पत्र दिखा दिए जो किसी के पास जिलाधिकारी द्वारा आवंटन के किये कुछ लोगों के पास डूडा अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र दिए गए थे. सभी में अलग-अलग साइन दिखाई दिए. कुछ वहीँ के रहने वालों का कहना है कि यदि जनता को न्याय नहीं मिला तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
जिस आधार पर लोगों को आवास आवंटित करने चाहिए थे वह नहीं किये गए. दूसरी तरफ जिन लोगों को आवास मिलने चाहिए थे नहीं मिले. जिसका फायदा डूडा के अधिकारियों व दलालों ने उठाया और फर्जी तरीके से पैसे लेकर आवंटन कर दिया. उसके साथ साथ जो रिकॉर्ड है उनमें उनके नामों को सम्मलित नहीं किया गया. बहुत से लोगों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने अपने-अपने प्रमाण पत्र दिखा दिए जो किसी के पास जिलाधिकारी द्वारा आवंटन के किये कुछ लोगों के पास डूडा अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र दिए गए थे. सभी में अलग-अलग साइन दिखाई दिए. कुछ वहीँ के रहने वालों का कहना है कि यदि जनता को न्याय नहीं मिला तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.