रिपोर्ट : विशाल झा
गाज़ियाबाद : स्वर्ण जयंती पार्क स्थित गाज़ियाबाद हाट में बसंत मेला का आयोजन किया गया है. इस मेले में देवभूमि का संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जीवन शैली, रहन-सहन गाज़ियाबाद वासियो को खूब पसंद आ रहा है. यह मेला 26 जनवरी से 29 जनवरी तक आयोजित किया गया है. शाम के समय इस मेले में पहाड़ी कलाकारों द्वारा कार्यक्रम आयोजित भी किया जाता है.
पहाड़ी ज्वेलरी कर रही है महिलाओं को आकर्षित
पहाड़ी ज्वेलरी कुमांऊनी महिलाओं की शान होती है.मेले में पहाड़ी ज्वेलरी का स्टॉल लगाने वाली मधु ने बताया कि आजकल पहाड़ी ज्वेलरी का कल्चर पिछड़ता जा रहा है. लेकिन अब भी नथ को लोग पहनना पसंद करते है. नथ को शादी के वक़्त कन्या के मामा के घर से दिया जाता है. अब ज्यादातर उत्तराखंड की शादियों में महिलाएं नथ, गुलबंद और पिछोड़ पहना करती है.
मंडुवे की चाऊमीन और मोमोज
मंडुवे की चाऊमीन, मोमोज और पाव खाने के लिए भी भीड़ उमड़ रही है. सुभाष ने बताया की मंडुवा एक हैल्थी अनाज होता है. जिसमें नुट्रिशन वैल्यू काफी अधिक होती है. इसलिए हमारी कोशिश है की जो लोग चाऊमीन, मोमोज खा के अपनी तबियत बिगाड़ लेते है उनको इसमें पहाड़ी स्वाद मिल सके.
विलुप्त होती सिंगोडी मिठाई का जादू
पहाड़ी मिठाई बेचने वाले आदित्य ने बताया की बाल मिठाई के अलावा हमारे पास सिंगोडी भी है जो पहले अल्मोड़ा में बनती थी , लेकिन अब विलुप्त होने के कगार पर है. इसलिए हम इस मिठाई और इसके जबरदस्त स्वाद के बारे में मेले में आयी जनता को बताना चाहते है.
सेंटर स्टेज पर पहाड़ी गानों पर ठुमके
इस बसंत मेले में एक सेंटर स्टेज भी बनाया गया है. जहां पर पहाड़ीयों के अलावा ऐसे लोग भी जो उत्तराखंड के नहीं है वो भी पहाड़ी गानों पर खूब थिरक रहे है. यहां आप अपनी मर्जी से कोई भी पहाड़ी गाना चुन कर परिवार, दोस्तों के साथ एन्जॉय कर सकते है.
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