दीपावली के पर्व की धूम हर जगह दिख रही हैं.ऐसे में डासना स्थित जिला कारागार के बंदी भी दीवाली की रात को रोशन करने के लिए दिनभर मोमबत्ती बनाने में जुटे हुए है. तरह-तरह की डिजाइनर, दीया, फूल के आकार वाली और स्टैंड वाली रंग-बिरंगी मोमबत्तियां डासना जेल में बनाई जा रही हैं. जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि जिले में जेल के बाहर इन मोमबत्तियों की बिक्री हो रही है.
साथ ही लखनऊ स्थित मुख्यालय में लगे दीवाली मेले में भी जिले के बंदियों की मोमबत्तियों की खूब मांग हो रही है. अभी बीते दिनों डासना जेल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी दौरा किया था और यहां के बंदियों के हुनर की तारीफ भी की थी. एक तरीके से देखा जाये तो जेल में बंद लोग नकारात्मकता से भर जाते हैं. बाहरी दुनिया से अलग होने और सजा का भाव होने से उनमें लगातार नकारात्मकता पैदा होती रहती है. इसीलिए जेल में बंदी सुधारात्मक कार्य किए जाते हैं.
कौशल से जुड़े कार्य करने से उनमें सकारात्मकता का संचार होता है. जेलर बृजेश सिंह का कहना है कि कोरोना में बंदियों के बनाए मास्क ने देश भर के लोगों को महामारी से बचाया था, तो वहीं मोमबत्ती बनाकर दीवाली के त्योहार को रोशन करने में अपना योगदान दे रहे हैं. ये मोमबत्ती जलकर जब दीवाली रोशन करेंगी तो बंदियों और कैदियों के मन का भी अंधेरा मिटेगा. 35 रुपये में 10 मोमबत्ती मिल रही है. 35 रुपये का एक पैकेट है. इसमें 10 मोमबत्ती हैं. मोमबत्तियां लगभग लागत मूल्य पर ही बेची जा रही हैं. इनसे होने वाली आय बंदी कल्याण कोष में जाएगी और बाद में इसका भुगतान उन्हें कर दिया जाएगा.
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