गाज़ियाबाद में जल्द तितली पार्क बनाया जायेगा.तेजी से हो रहे शहरीकरण की वजह से तितलियां नहीं बच पा रहीं हैं.इन्हें बचाने के लिए गाजियाबाद के सिटी फॉरेस्ट में एक एकड़ एरिया मेंतितली पार्कबनाए जाने का फैसला किया गया है.9 लाख रुपये की लागत से बनने वाले इस पार्क का जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा.इसको छह महीने के भीतर तैयार किए जाने की योजना है.लखनऊ में बने तितली पार्क से भी जरूरत पड़ने पर मदद ली जाएगी.तितलियों की बात करे तो तितली होस्ट प्लांट यानी मदार, नीम और रेढ़ जैसे पेड़ों यानी के पत्तों पर अंडे देती हैं और नेक्टर प्लांट यानी लैंटाना, एग्जोरा,सन फ्लावर जैसे पौधों से रस लेती हैं.ये पौधे लगने के बाद पार्क में तितलियों की संख्या तेजी से बढ़ने के आसार हैं.
तितली पार्क में 15 प्रजाति के 2 हजार नेक्टर पौधे लगवाए जाएंगे. इनमें अली हॉक, बरबीना, गजेनिया, एस्टर, सूरजमुखी, पिंजी, डेमो व्हाइट, आदि शामिल हैं. प्रदुषण से भी तितली पर असर पड़ता हैं.
खेती में पेस्टिसाइड के उपयोग व प्रदूषण से तितलियों के जीवन पर संकट छा रहा है. पहले घर के आसपास हरियाली व बगीचों में फूलों पर तितलियां मंडराती दिखती थीं, मगर धीरे-धीरे इनकी संख्या घटती जा रही है.इसलिए सरकार द्वारा पर्यावरण, पर्यटन व वन्यजीव प्रेमियों के लिए तितलियों के सरंक्षण सहित इनकी प्रजातियों के संवर्धन यानी बढ़ावे के लिए तितली पार्क बनाए जा रहे हैं.
एक्सपर्ट बताते है कि कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच तितलियों की करीब 1500 प्रजातियां पाई जाती हैं.लेकिन दिन प्रतिदिन इनकी संख्या में कमी आ रही है.ये जितनी सुंदर होती हैं उतना ही पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण भी.वह एक फूल के पराग को दूसरे फूल तक पहुंचाती है जो परागण की क्रिया में सहायक होता है.इससे फूल बनते और फूलों से फल और बीज.
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