रिपोर्टर : विशाल झा
गाजियाबाद : जिला कारागार गाजियाबाद में कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन कैदियों को शिक्षा, आत्म अनुशासन के साथ रिहाई के बाद रोजगार के लिए भी कई कला सिखाई जाती है. जिसमें सिलाई – कढ़ाई, हैंडीक्राफ्ट, मिट्टी के बर्तन बनाना आदि शामिल है. जेल प्रशासन ने एचसीएल संस्था और गाज़ियाबाद के उप श्रमआयुक्त के आपसी सहयोग से इन कैदीयों को प्रशिक्षित किया है. इन कैदीयों द्वारा कई सुंदर आभूषण तैयार किए जा रहे है.
महिला से ज्यादा पुरुष बंदी बना रहे आभूषण
जेल अधीक्षक अलोक सिंह का कहना है की महिला कैदियों से ज्यादा पुरुष बंदी आभूषण बनाना सीख रहे है. हमारी कोशिश रहती है की बंदी जेल में व्यस्त रहे जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े. जब रिहाई के बाद ये समाज में वापस लौटे तो अपनी जगह बना सके.
इसलिए इनको प्रशिक्षित किया जाता है. ODOP के अंतर्गत गाज़ियाबाद में हैंडीक्राफ्ट सिखाया जा रहा है. कारागार में ऐसे कई बंदी है जो पहले से थोड़ा – थोड़ा इस काम के बारे में जानते थे. ये बंदी अन्य बंदियों की मदद भी कर रहे है.
कैदीयों में आपसी तालमेल से होता है बदलाव
जब जेल में कैदी मिलकर काम करते है तो एक दूसरे की रचना कौशल भी बढ़ती है. कई बार जेलो से कैदीयों के आपस में लड़ने की खबरें आती है. ऐसे में साथ काम करने से जेल का माहौल भी सकारात्मक और लर्निंग बना रहता है.
इन कैदीयों के बनाए गए हैंडीक्राफ्ट को जेल के बाहर प्रदर्शनी लगाने पर विचार किया जा रहा है. जिससे की आम लोग भी इनकी प्रतिभा को देख सके और खरीद सके. फिर ये सारे पैसे कैदीयों के वेलफेयर में ही खर्च किए जाएंगे.
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