साहिबाबाद. साहिबाबाद (Sahibabad) में सामाजिक समरसता मंच के कार्यक्रम में महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) के व्यक्तित्व पर गहराई से प्रकाश डाला गया. आयोजन में भाग संयोजक पवन त्यागी ने महर्षि को पूरी मानव जाति का आदर्श बताया और उनके जन्मदिन को सामूहिक रूप से उत्सव के रूप में मनाने का आह्वान किया. इस दौरान वक्ताओं ने भारतीय संस्कृति की भव्यता और प्रसिद्ध धर्म ग्रंथों पर बोलते हुए मुगलों के विध्वंसकारी इतिहास की जानकारी दी. कार्यक्रम में बोलते हुए समरसता मंच के भाग संयोजक पवन त्यागी ने कहा हमारे देश में विदेशी आक्रांताओं ने हमले किए. देश को गुलाम बनाकर यहां लम्बे समय तक शासन करने की नीयत से हमारे शक्ति केंद्रों को नष्ट किया, जिसमें प्रसिद्ध मंदिर, प्रसिद्ध मठ, प्रसिद्ध संत, प्रसिद्ध ग्रंथ और ज्ञानवर्धक पुस्तकों को ध्वस्त कर दिया गया या बलपूर्वक उनमें परिवर्तन करा दिया गया.
भाग संयोजक पवन त्यागी ने कहा कि मुगलों द्वारा किए गए इसी हमले में भारत के जिन संतों के विषय में दुष्प्रचार किया गया उनमें महर्षि वाल्मीकि भी एक थे. तेत्रा युग में जन्मे महर्षि वाल्मीकि जोकि प्रचेता के पुत्र व ब्रम्हा के पौत्र थे. उनको डाकू बताकर बदनाम किया ताकि लोग उनके द्वारा बताए मार्ग पर न चलें और रामायण पर विश्वास न करें. उन्होंने कहा कि आक्रमणकारी जानते थे कि भारत को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए भगवान राम एक सशक्त माध्यम हैं, इसलिए उन्होंने श्रीराम की पहचान नष्ट करने के प्रयास में राम मंदिर ध्वस्त किए. उनसे जुडी हर एक चीज को नष्ट करने का काम किया.
इसी कड़ी में उन्होंने महार्षि वाल्मीकि को आम समाज से अलग करने का षणयंत्र किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत में उस महर्षि को केवल एक जाति विशेष से जोड़कर बहुत छोटा बना दिया जिस महर्षि के कारण एक राजा के बेटे राम, श्रीराम भगवान कहलाए. उन्होंने कहा कि भारत के महानतम ग्रंथों में एक ग्रंथ रामायण के रचयता महर्षि वाल्मीकि का ज्ञान विश्व कल्यणकारी और भारतीय संस्कृति के लिए प्रेरणा श्रोत है, किंतु आम समाज उसे न पढ़े इसके लिए महर्षि को बदनाम किया गया. जिसका परिणाम यह हुआ कि आज महार्षि वाल्मीकि का जन्म उत्सव केवल सफाई कर्मचारी परिवारों का उत्सव मात्र बनकर रह गया है, जबकि यह सम्पूर्ण राम भक्तों का उत्सव होना चाहिए.
क्या कोई डाक्टर या अध्यापक केवल अपनी जाति के लोगों के लिए ही लाभकारी होता है ? निश्चित रूप से नहीं. जिस प्रकार डाक्टर पूरे समाज, देश के लिए लाभकारी है इसी प्रकार संत भी पूरे देश के लिए लाभकारी होता है. इसलिए सामाजिक समरता मंच ने निश्चित किया है कि पूरे देश में सभी समाज और जाति को साथ लेकर महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस धूमधाम से मनाया जाए. कार्यक्रम में संत समाज और अनेक स्वयंसेवी व देशभक्त संस्थाओं की भी उपस्थिति रही.
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