रिपोर्ट: विशाल झा
गाज़ियाबाद: रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान तमाम मस्जिद और ईदगाह पर भीड़ देखना आम हैं. गाज़ियाबाद के कैला भट्टा स्थित मरकज मस्जिद में विशेष रौनक देखने को मिल रही है. मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां मार्केट में भी काफी भीड़ उमड़ रही है.
मरकज मस्जिद को रमजान के मौके पर दुल्हन की तरह सजाया गया है. इस मौके पर रोजा रखने वाले रोजेदार के लिए भी मस्जिद प्रशासन की तरफ से व्यवस्था की गई है.
अलविदा जुमा मनाते हैं शान से
मुफ़्ती मोहब्बत सुल्तान बताते हैं कि रमजान का आखिरी जुमा जो होता है उसको अलविदा जुमा के तौर पर मनाते हैं. क्योंकि वो जुमा एक साल बाद देखने को मिलता है. उसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि उस जुमे के बाद ईद आती है.
गर्मी में रोजेदार के सामने कई चुनौती
गर्मी के समय में रोजेदार के सामने कई चुनौती होती हैं, क्योकि गर्मी में कोई भी व्यक्ति दो तीन घंटे पानी ना पिए तो उसकी हालत खराब हो जाती है, गला सूखने लगता है. पर रोजेदार ये सब सह लेते हैं क्योकि उन्हें अल्लाह हिम्मत देता है. कितने लोग ऐसी भी हैं जो इन दिनों काम भी करते हैं.
मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रमजान में दिखती है रौनक
रमजान के पावन महीने में खरीदारी ज्यादा बढ़ जाती है. इसके साथ ही ईद के लिए भी लोग खरीदारी करना शुरु कर देते हैं. इसलिए इस दौरान मार्केट में चहल-पहल बढ़ जाती हैं. रमजान एक ऐसा महीना है जब मुसलमान इबादत के साथ इंसानियत भी सीखता है. इस दौरान जो गरीब तबके के लोग है उनकी भी मदद की जाती है, उनके घर में इफ्तार भी पहुंचाई जाती है.उनको कपड़े दिलाए जाते है और ख्याल रखा जाता है. ईद के दिन लोग एक दूसरे के घर सवई भी बाटते हैं.
तीन टुकड़ों में बंटा है रमजान का महीना
रमजान के पवित्र महीने में हर दिन विशेष है लेकिन अगर इस्लामिक धर्म के अनुसार देखें तो 10-10 दिन के तीन अशरों में इस को बांट दिया गया है. इन तीन टुकड़ों की अपनी अलग मान्यताएं है जिसके बारे में पैगंबर मोहम्मद ने बताया था कि पहला हिस्सा अल्लाह की रहमत का है, दूसरा मगफिरत का और तीसरा जहन्नुम से निजात का है.
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