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Valentine Special: मिसाल...पत्नी ने अपनी किडनी देकर बचाई पति की जान, लास्ट स्टेज की थी बीमारी 

पत्नी ने पति को डोनेट की किडनी

पत्नी ने पति को डोनेट की किडनी

43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर अजय अंतिम चरण की किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. जान बचाने के लिए उन्हें तत्काल किडनी की ज ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट : विशाल झा

गाजियाबाद : सोशल मीडिया पर आईफोन के बदले किडनी देने के मीम तो आपने बहुत सुने और देखे होंगे. लेकिन आज हम आपको ऐसी कहानी बता रहे है जिसमें पति को अंतिम स्टेज की किडनी की बीमारी होने के कारण जान बचाने के लिए पत्नी ने अपनी किडनी दी. इसके बाद हुई देश की पहली ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी.

पत्नी की किडनी से बची पति की जान

दरअसल, 43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर अजय मलिक अंतिम स्टेज की किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. क्रोनिक किडनी रोग के कारण लगभग तीन सालों से हेमोडायलिसिस और दवाओं पर चल रहे थे. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती गई, वह एथेरोस्क्लेरोसिस से पीड़ित हो गए, जिसे आमतौर पर धमनियों में पट्टिका के निर्माण के रूप में कहा जाता है. इससे पेट के ऊपरी और निचले हिस्से में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ गईं. इसके अलावा अपर और लोअर लिंब में वाहिकाएं संकुचित हो गईं. ऐसी स्थिति में तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी.

इसके बाद पुलिस अफसर की पत्नी रेखा मलिक ने अपनी किडनी डोनेट करने की ख्वाहिश जाहिर की. इसके लिए उनकी डिटेल्ड जांच पड़ताल की गई, जिसमें पता चला कि उनकी किडनी फैल गई थी और उसका साइज 20×15 मिमी हो गया था. इसके चलते ट्रांसप्लांट का ये केस और ज्यादा जटिल हो गया था. इस समस्या के कारण ये केस बहुत ही चुनौतीपूर्ण, बेहद जटिल और संवेदनशील बन गया .

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देश की पहली ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी को दिया अंजाम

इसके बाद मरीज की जान बचाने के लिए मैक्स वैशाली के डॉक्टर्स की टीम ने बहुत ही रेयर किस्म की ट्रांसप्लांट सर्जरी यानी ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की.

मैक्स हॉस्पिटल में यूरो-ऑन्कोलॉजी रोबोटिक एंड किडनी ट्रांसप्लांटेशन के चेयरमैन डॉक्टर अनंत कुमार ने News 18 Local को बताया, वैस्कुलर सर्जरी टीम के साथ विचार-विमर्श करने के बाद हमने इस सर्जरी को करने का फैसला किया. इस केस में डोनर और मरीज दोनों की ही किडनी क्रिटिकल कंडीशन में थीं. मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की गई.

पेट के निचले हिस्से में व्यापक सर्जरी का इतिहास या पेट के निचले हिस्से की वाहिकाओं की व्यापक विकृति जैसी जटिलताएं, जो नियमित ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी को मुश्किल बना सकती हैं या उच्च जटिलता दर को बढ़ा सकती हैं. ऐसे मामलों में, ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी मरीज के लिए आरामदायक रहती है और ऑपरेशन के बाद उनका जीवन बेहतर तरीके से गुजर रहा है.

इस सफल सर्जरी को मैक्स अस्पताल के डॉक्टर अनंत कुमार के नेतृत्व में किया गया. उनकी टीम में डॉक्टर मनीषा दस्सी, डॉक्टर शैलेंद्र गोयल, डॉक्टर विमल दस्सी और डॉक्टर उपवन चौहान थे, जिन्होंने मिलकर ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की.

रिटायर्ड पुलिस अफसर की सफल सर्जरी की गई जिसके 7 दिन बाद उनकी डोनर पत्नी और वो अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए. मरीज के शरीर में भी किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद कोई समस्या नहीं हुई.

Tags: Ghaziabad News, Uttarpradesh news

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