रिपोर्ट: विशाल झा
गाज़ियाबाद : ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया ‘. यूं तो ये फिल्म हम-दोनो का एक गीत है जो मोहम्मद रफी साहब ने गाया है. आपने इसे कई बार सुना भी होगा लेकिन यही गाना सीमा पर खड़े किसी विंग कमांडर की हिम्मत बने वो भी पाकिस्तान के साथ जंग के मुश्किल हालातों में ये आपने कभी नहीं सुना होगा.
जी हां हम बात कर रहे है पूर्व विंग कमांडर प्रकाश जेथ्रो की. जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 की ऐतिहासिक जंग में अपना योगदान दिया था. वो अपने माता-पिता का बहुत धन्यवाद करते हैं. अपने पिता को प्रकाश अपना मेंटर मानते है. वो कहते है कि उन्होंने मुझे अच्छी शिक्षा दी, जो जिंदगी में मेरे बहुत काम आयी.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मिले थे तीन कलर्स
स्कूलिंग पूरी होने के बाद प्रकाश एएमयू में पढ़ने गए. जहां वो पढ़ाई के साथ खेल में भी बेहतरीन थे. उनके पास फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स ऑनर था. इसके साथ ही उनके पास यूनिवर्सिटी के तीन रंग भी थे जो उन्हें फुटबॉल, बैडमिंटन और ऐथलेटिक में मिले थे. दरअसल एएमयू में जब आप शानदार खेल प्रदर्शन करते है तो एक रंग दिया जाता है जो हासिल करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन प्रकाश के पास ये तीन थे.
फौज की जिंदगी है मुश्किल, पत्नी को कही थी ये बात
News 18 Local को अपने चैलेंज बताते हुए प्रकाश ने कहा कि फौज की जिंदगी आसान नहीं होती. मैं जहां 1971 में पोस्टेड था वहां दिनभर भारी बमबारी होती थी. मैंने उस दौरान अपनी पत्नी से कह दिया था की ‘अगर किसी दिन कोई ऑफिसर टोपी को दबाकर तुम्हारे पास आएगा तो समझना मैं नहीं रहा, और नहीं आया तो समझना मैं अब भी लड़ रहा हूं ‘.
इसके अलावा कभी-कभी विपरीत परिस्थितियों में मनोबल टूट जाता था. ऐसे वक़्त प्रकाश अपने फेवरेट अभिनेता देवानंद के गाने गुनगुनाते थे. मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया….. इस गाने को गाते ही प्रकाश अपनी टीम को एक नई ऊर्जा के साथ दुबारा से मिशन पर फोकस होते थे.
डिफेन्स से शैक्षिक के सफर में क्या सीखा
अब देश की सेवा करने के बाद प्रकाश समाज की सेवा कर रहे हैं. गाज़ियाबाद के 13 स्कूल और कॉलेज का वो संरक्षण करते हैं. इसके अलावा इंग्राम इंग्लिश स्कूल के वो डायरेक्टर भी हैं. फौज से एकेडमिक सफर के बारे में वो बताते है की शिक्षा काफी जरूरी है. इसके साथ ही किसी भी व्यक्ति में अगर उसके छात्र जीवन से ही अनुशासन डाला जाए तो वो उनके साथ जीवन भर रहता है.
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