होम /न्यूज /उत्तर प्रदेश /Gorakhpur: प्राचीन मुद्राओं और कलाकृतियों का अद्भुत संसार है बौद्ध संग्रहालय, लोगों को खूब करता है आकर्षित

Gorakhpur: प्राचीन मुद्राओं और कलाकृतियों का अद्भुत संसार है बौद्ध संग्रहालय, लोगों को खूब करता है आकर्षित

पूर्वी उत्तर प्रदेश की बहुमूल्य सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 23 अप्रैल 1987 को राजकीय बौद्ध सं ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट– अभिषेक सिंह
गोरखपुर.
 तारामंडल क्षेत्र में स्थित राजकीय बौद्ध संग्रहालय में प्राचीन मुद्राओं और कलाकृतियों का ऐसा अद्भुत संसार है. जो लोगों को खूब आकर्षित करता है. बौद्ध संग्रहालय में नव पाषाण काल से लेकर आधुनिक काल तक की पुरासंपदाओं का समृद्ध संग्रह है, जिसमें विशेषकर मृण मूर्तियों के संग्रह के लिए इस संग्रहालय को धनी माना जाता है. यहां पर प्रस्तर मूर्तियां,सिक्के, पांडुलिपियों,लधुचित्र,थंका,आभूषण और ताड़पत्र इत्यादि अनेक विषयों पर समृद्ध संग्रह है. जिसपर नियमित रूप से रिसर्च स्कॉलर आकर शोधन कार्य करते हैं. संग्रहालय द्वारा भी नित्य नए आयाम जोड़े जा रहे हैं.

पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर परिक्षेत्र जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल के साथ ही साथ मौर्य,शुंग, कुषाण व गुप्त साम्राज्य का अभिन्न अंग रहा है. इसके साथ ही बौद्ध धर्म के उद्भव और विकास का हृदय स्थल भी रहा है. यहां भगवान बुद्ध के जीवन व बौद्ध धर्म से संबंधित स्थलों की क्रमबद्ध श्रृंखला दिखाई देती है. इसमें प्रमुख रूप से कपिलवस्तु, देवदह,कोलियों का रामग्राम, कोपिया और महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. इतना ही नहीं यह परिक्षेत्र मध्ययुगीन प्रसिद्ध संत, समाज सुधारक और हिंदू-मुस्लिम एकता के पोषक संत कबीरदास की निर्वाण स्थली को भी अपने आंचल में संजोए हुए हैं.

1987 में हुई थी बौद्ध संग्रहालय की स्थापना
राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. मनोज गौतम ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की बहुमूल्य सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 23 अप्रैल 1987 को राजकीय बौद्ध संग्रहालय की स्थापना की गई. संग्रहालय अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए लगातार प्रयासरत है. उप निदेशक डॉ. मनोज गौतम ने बताया कि संग्रहालय की पांच वीथिकाओं में प्रदर्शन का कार्य किया गया है.

आपके शहर से (गोरखपुर)

गोरखपुर
गोरखपुर

प्रख्यात विद्वान को समर्पित 
प्रथम वीथिका बौद्ध धर्म के प्रख्यात विद्वान महापंडित राहुल सांकृत्यायन को समर्पित है.जिसमें भगवान बुद्ध के विविध स्वरूपों एवं मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया है. द्वितीय पुरातत्व वीथिका में प्रस्तर और मृण कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शन किया गया है. तृतीय वीथिका में कला के विविध आयाम विभिन्न धातु,हाथी दांत और स्टको के माध्यम से प्रदर्शन किया गया है.चतुर्थ चित्रकला वीथिका है जो लघु चित्र और थंका पेटिंग के माध्यम से प्रदर्शित की गई है.पंचम वीथिका जैन वीथिका है जो जैन धर्म एवं उसके इतिहास पर प्रकाश डालती है.

Tags: Gorakhapur

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें