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Gorakhpur: दुग्ध उत्पादन में बढ़त के दावे हवा हवाई, मिल्क मैनेजमेंट के जरिए दूध की सप्लाई

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दुग्ध

दुग्ध उत्पादन में कमी

पराग डेयरी के जीएम अनिल सिंह" कहते हैं कि दुग्ध उत्पादन से लेकर प्लांट तक दुग्ध को लाने के सारे प्रयास हो रहे हैं,बावजू ...अधिक पढ़ें

    अभिषेक सिंह
    गोरखपुर: 
    दुग्ध उत्पादन में बढ़त हासिल करने की केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार भले ही दावे कर रही हो लेकिन शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की किल्लत बनी हुई है. गोरखपुर जिले में भी डिमांड की अनुसार दूध की सप्लाई नहीं हो पा रही है. इसके पीछे का कारण पशु आहारों की बढ़ती महंगाई और पशुपालन में समस्या मुख्य वजह सामने आ रही है. गोरखपुर में मिल्क मैनेजमेंट के सहारे ही लोगों के घरों तक दूध पहुंच रहा है.

    खास बात यह है की देश में जहां 155.5 लाख टन प्रति वर्ष दूर का उत्पन्न हो रहा है तो वहीं यूपी इसमें 17% से ज्यादा की भागीदारी दे रहा है. गोरखपुर की लगातार बढ़ रही आबादी से दूध की डिमांड 15 से 20% बढ़ी है. वहीं सप्लाई पहले की अपेक्षा और 20% कम हो गई है. स्थानीय गौशालाओं के अलावा विभिन्न कंपनियों के पैकेट के दूध यहां बड़े स्तर पर सप्लाई होते हैं. फिर भी शहर में 14 लाख लीटर दूध की आपूर्ति नहीं हो पा रही.

    पराग डेयरी की क्षमता एक लाख लीटर और दूध की मिल रहा 10000 लीटर
    गोरखपुर जिले में पराग जैसी सरकारी डेयरी स्थापित है.जहां प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध को सुरक्षित, संरक्षित और सप्लाई करने की क्षमता है. लेकिन इस डेयरी को मात्र 8 से 10 हजार लीटर ही दूध मिल पाता है. इसमें भी दूध के अलावा विभिन्न दूध के प्रोडक्ट तैयार किए जाते है. गोरखपुर मंडल की बात करें तो सिर्फ आठ हजार पशुपालक इस डेयरी से पंजीकृत हैं. जिनके पशुओं की संख्या लगभग 16 लाख है , इनसे कुल 24 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता हैं. लेकिन यह दूध मंडल के कुल 4 जिलों में ही बिक जाता है. जबकि सिर्फ गोरखपुर जिले की बात करें तो यहां आबादी लगातार बढ़ रही है. हर घर को दूध की जरूरत है.

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    महिला संगठनों के माध्यम से बढ़ेगा दूध का कारोबार
    गोरखपुर महानगर की बात करें तो यहां 14 लाख लीटर दूध की उपलब्धता अनुमानित है, वह नहीं हो पा रही है. दूध की कई कंपनियां यहां पैकेट का दूध सप्लाई कर अपना कारोबार मजबूत कर रही हैं. वहीं दूध एवं दुग्ध उत्पादन बनाने वाली प्रतिष्ठित कंपनी सीपी मिल्क का प्लांट भी भविष्य में यहां स्थापित करने की तैयारी चल रही है.

    राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और डेयरी सर्विसेज द्वारा, मंडल स्तर पर महिला सदस्यों का संगठन खड़ा कर दूध के कारोबार को बढ़ाया जाएगा. गोरखपुर में कुल 1294 ग्राम पंचायतें हैं तो मंडल में 4364. इनमें कुल 260 दुग्ध उत्पादन समितियां ही काम कर रही हैं. बावजूद इसके दुग्ध उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा.

    पराग डेयरी के जीएम और स्थानीय पशुपालक का क्या है कहना ?
    पराग डेयरी के जीएम अनिल सिंह कहते हैं कि दुग्ध उत्पादन से लेकर प्लांट तक दुग्ध को लाने के सारे प्रयास हो रहे हैं ,बावजूद इसके पशुपालकों का रुझान नहीं बढ़ रहा है. दूध न मिलने के कारण बड़ी क्षमता के इस प्लांट का रखरखाव भी प्रभावित हो रहा है. वहीं डेयरी संचालक हेमंत यादव कहते हैं कि पशुपालकों को दुग्ध का मुंहमांगा मूल्य नहीं मिल पाता, जबकि पशु आहार के दाम लगातार बढ़ रहे हैं.

    हरा पशु आहार और महंगा होता जा रहा है. लोग पशुओं की संख्या बढ़ा नहीं रहे, ऐसे में दूध की मात्रा कैसे बढ़ेगी. गोरखपुर महानगर में छोटी-बड़ी कुल 60 डेरी हैं. इनके सहारे पूरे शहर को दूध सप्लाई नहीं किया जा सकता, यही वजह है कि बाहरी कंपनियां आकर के दूध सप्लाई में अपनी धाक जमा रही हैं.

    Tags: Gorakhpur news, Uttar pradesh news

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