अभिषेक सिंह
गोरखपुर के आईटीएम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड मैनेजमेंट गीडा की चार सहेलियों ने एक ऐसी जादुई स्टिक तैयार की है, जो दिव्यांगों की मदद कर उनका सहारा बनेगी. स्टिक उन्हें धार्मिक स्थलों, शॉपिंग माल, शॉप, पार्क, बाजार और अन्य किसी भी स्थान पर पहुंचने और उसके बारे में जानकारी देगी. यहां तक कि मंदिर में किस भगवान की मूर्ति लगी है, इसके बारे में भी डिवाइस के माध्यम से पता चल जाएगा. ये तीनों छात्राएं बीटेक और एमबीए प्रथम वर्ष की हैं. स्मार्ट सिटी में पढ़ाई के साथ ही दिव्यांगों (नेत्रहीनों) की मदद का विचार मन में आया और उन्होंने इस जादुई स्टिक को महज सप्ताह से 10 दिन के अंदर तैयार कर दिया.
शिवा ब्लाइंड स्टिक रेडियो सिग्नल पर काम करती है. स्टिक में रिसीवर होता है जो वॉइस सर्किट से जुड़ा होता है. इस सर्किट का एक ट्रांसमीटर होता है, जिसे धार्मिक स्थलों, मेडिकल शॉप, हॉस्पिटल की जानकारी इस ट्रांसमीटर चिप में इंस्टॉल कर सकतें हैं. ब्लाइंड व्यक्ति स्टिक में लगे बटन को दबाता है. उस एरिया में ट्रांसमीटर को एक रेडियो सिग्नल मिलता है, जिससे छड़ी में लगे ईयर फोन में आवाज के माध्यम से ये पता चल जाता है कि उनके नजदीक क्या है.
जैसे- धार्मिक स्थल, हॉस्पिटल, स्कूल, मेडिकल शॉप और अन्य जगहों के बारे में जानकारी मिल जाती है. शिवा ब्लाइंड स्टिक बनाने के लिए एक सेल्फी स्टिक, ट्रांसमीटर, रिसिवर, रिले 5 वोल्ट, वॉइस रिकॉर्डिंग चिप, 9 वोल्ट बैटरी, स्पीकर का इस्तेमाल किया है.
आईटीएम गीडा की छात्राओं ने क्या कहा इस संबंध में?
आईटीएम गीडा की बीटेक प्रथम वर्ष की छात्रा अंजलि सिंह, बीटेक सीएस प्रथम वर्ष की छात्रा अंकिता सिंह, अंशिका पटेल, एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा अनामिका सिंह ने बताया कि नेत्रहीनों की मदद करने के उद्देश्य से इस स्टिक को तैयार किया है. आम आदमी कहीं भी जाने में सक्षम रहता है.
उन्होंने बताया कि इसी तरह इस स्टिक के माध्यम से दिव्यांगजन कहीं भी बगैर किसी की मदद के कहीं भी जा सकते हैं. उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसे एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर तैयार किया गया है. इसकी लागत दो से ढाई हजार रुपए आई है. बाजार में प्रोडक्शन में इसकी कीमत 700 से 800 रुपए हो जाएगी.
आईटीएम के निदेशक एनके सिंह ने क्या कहा?
आईटीएम के निदेशक एनके सिंह ने बताया कि नेत्रहीनों की सहायता के लिए एक स्टिक तैयार की है. ये स्टिक (डिवाइस) बनाई है. जिसमें किसी भी स्थान के बारे में जानकारी के लिए किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहना होगा. मंदिर,अस्पताल, दुकान,मॉल और अन्य स्थानों की जानकारी ये स्टिक की उस नेत्रहीन व्यक्ति को दे देगी. ये जब बाजार में आएगी तो इसकी कीमत काफी कम हो जाएगी. इसमें दो डिवाइस है. एक डिवाइस ट्रांसमीटर है, जो बहुत से लोगों को लाभ पहुंचा सकता है. वहीं दूसरी डिवाइस स्टिक है. 10 लोगों को समूह को इसका लाभ पहुंचाना है. तो इसके लिए एक डिवाइस (स्टिक) 10 लोगों के लिए बनानी होगी. वहीं ट्रांसमीटर एक ही तैयार करना होगा. इसे आगे डेवलप किया जाएगा. उन्होंने बताया कि नेत्रहीनों के लिए ये काफी लाभकारी होगी.
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