गोरखपुर में तीन सौ शस्त्र लाइसेंस फर्जी, दो हजार संदेह के घेरे में !
News18 Uttar Pradesh Updated: November 29, 2019, 1:59 PM IST

गोरखपुर में तीन सौ फर्जी शस्त्र लाइसेंस का खुलासा (प्रतीकात्मक फोटो)
संदेह के घेरे में आए दो हजार लोगों के लाइसेंस (arms license) पर ओवर राइटिंग (Over writing) या फिर एक ही नंबर पर दो नाम जैसी गलतियां है. इसलिए लाइसेंस धारक (License holder) अपने दस्तावेज और साक्ष्य लेकर 15 दिन में डीएम कोर्ट (DM Court) में पेश होकर उनका सत्यापन (Verification) करवा लें...
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- Last Updated: November 29, 2019, 1:59 PM IST
गोरखपुर. जनपद के फर्जी शस्त्र लाइसेंस (Fake arms license) मामले में मजिस्ट्रेट (Magistrate) की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है यहां तीन सौ फर्जी लाइसेंस का मामला सामने आया है वहीं दो हजार लाइसेंस संदेह के घेरे में हैं. बता दें कि सीएम योगी (CM Yogi) के जनपद में फर्जी शस्त्र लाइसेंस के खुलासे के बाद कैंट पुलिस (Gorakhpur Police) ने गुड वर्क (good work) दिखाने के चक्कर में जब कई बेगुनाहों जेल भेज दिया था और इस मुद्दे को मानवाधिकार संगठनों (Human rights organizations) ने उठाया उसके बाद प्रशासन (Administration) की नींद खुली और डीएम गोरखपुर (DM Gorakhpur) ने पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि जब तक डीएम कोर्ट से फर्जी लाइसेंस संबंधी कोई निर्देश नहीं जाएगा तब तक पुलिस किसी का भी उत्पीड़न नहीं करेगी.
तीन कैटेगरी में जांच रिपोर्ट
प्रशासनिक जांच में खुलासा हुआ है कि पुलिस ने इस मामले में अब तक सात से अधिक बेगुनाह लोगों जेल भेज दिया था. डीएम गोरखपुर ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले के मीडिया में आने के बाद मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई जो दो महीने तक चली. रिपोर्ट के मुताबिक इस जांच में तीन कटैगरी में जांच रिपोर्ट बनाई गई है. पहली कैटगरी में वो लोग हैं जिनके लाइसेंस वैध हैं उनकी संख्या 18 हजार से अधिक है. वहीं दो हजार लाइसेंस धारी संदेह के घेरे में हैं. इनके लिए डीएम कोर्ट से नोटिस जारी किया जा रहा है कि ऐसे लोग अपने लाइसेंस का सत्यापन करा लें.
संदेह के घेरे में आए दो हजार लोगों के लाइसेंस पर ओवर राइटिंग या फिर एक ही नंबर पर दो नाम जैसी गलतियां है. इसलिए लाइसेंस धारक अपने दस्तावेज और साक्ष्य लेकर 15 दिन में डीएम कोर्ट में पेश होकर उनका सत्यापन करवा लें इस दौरान जो भी लाइसेंस फर्जी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी. डीएम गोरखपुर ने कहा कि सत्यापन से पहले किसी के भी खिलाफ पुलिस कोई भी कार्रवाई नहीं करेगी. वहीं तीसरी कैटगरी ऐसी है जो पूरी तरह से फर्जी है जिनकी संख्या करीब 300 है. ऐसे लोगों को भी नोटिस जारी किया गया है. जो भी फर्जी लाइसेंस धारी हैं उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेजा जाएगा.बता दें कि गोरखपुर जनपद में 22 हजार शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए हैं, जिनमें से करीब 1500 लोगों ने शस्त्र नहीं खरीदे हैं. इन्हे शस्त्र खरीदने के लिए एक मौका दिया जाएगा. जो नहीं खरीदेगा उनके लाइसेंस निलंबित किए जाएंगे. फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मामला पहली बार इसी वर्ष 14 अगस्त को सामने आया था, इसके बाद डीएम ने तीन सदस्यीय मजिस्ट्रेट जांच कमेटी बनाकर मामले की रिपोर्ट देने को कहा था. दो महीने की जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीएम गोरखपुर को सौंप दी है.
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तीन कैटेगरी में जांच रिपोर्ट
प्रशासनिक जांच में खुलासा हुआ है कि पुलिस ने इस मामले में अब तक सात से अधिक बेगुनाह लोगों जेल भेज दिया था. डीएम गोरखपुर ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले के मीडिया में आने के बाद मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई जो दो महीने तक चली. रिपोर्ट के मुताबिक इस जांच में तीन कटैगरी में जांच रिपोर्ट बनाई गई है. पहली कैटगरी में वो लोग हैं जिनके लाइसेंस वैध हैं उनकी संख्या 18 हजार से अधिक है. वहीं दो हजार लाइसेंस धारी संदेह के घेरे में हैं. इनके लिए डीएम कोर्ट से नोटिस जारी किया जा रहा है कि ऐसे लोग अपने लाइसेंस का सत्यापन करा लें.
संदेह के घेरे में आए दो हजार लोगों के लाइसेंस पर ओवर राइटिंग या फिर एक ही नंबर पर दो नाम जैसी गलतियां है. इसलिए लाइसेंस धारक अपने दस्तावेज और साक्ष्य लेकर 15 दिन में डीएम कोर्ट में पेश होकर उनका सत्यापन करवा लें इस दौरान जो भी लाइसेंस फर्जी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी. डीएम गोरखपुर ने कहा कि सत्यापन से पहले किसी के भी खिलाफ पुलिस कोई भी कार्रवाई नहीं करेगी. वहीं तीसरी कैटगरी ऐसी है जो पूरी तरह से फर्जी है जिनकी संख्या करीब 300 है. ऐसे लोगों को भी नोटिस जारी किया गया है. जो भी फर्जी लाइसेंस धारी हैं उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेजा जाएगा.बता दें कि गोरखपुर जनपद में 22 हजार शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए हैं, जिनमें से करीब 1500 लोगों ने शस्त्र नहीं खरीदे हैं. इन्हे शस्त्र खरीदने के लिए एक मौका दिया जाएगा. जो नहीं खरीदेगा उनके लाइसेंस निलंबित किए जाएंगे. फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मामला पहली बार इसी वर्ष 14 अगस्त को सामने आया था, इसके बाद डीएम ने तीन सदस्यीय मजिस्ट्रेट जांच कमेटी बनाकर मामले की रिपोर्ट देने को कहा था. दो महीने की जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीएम गोरखपुर को सौंप दी है.
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First published: November 29, 2019, 1:59 PM IST
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