अभिषेक कुमार सिंह/गोरखपुर. अभी तक आपने भगवान के प्रकट होने वाले तमाम देव स्थानों के बारे में सुना होगा. जहां पर खुद भगवान ने प्रकट होकर अपने भक्त को दर्शन दिए हैं. कहा जाता है कि कुछ ऐसा ही चमत्कार सन् 1936 में गोरखपुर की गीता वाटिका में हुआ था. दावा है कि यहां पर रहने वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार उर्फ भाई जी को देव ऋषि नारद और अंगिरा ऋषि ने साक्षात प्रकट होकर दर्शन दिए. जिस जगह दोनों देवताओं ने दर्शन दिए, वह जगह आज भी है.
आपको बता दें, यह जगह आज भी राधा कृष्ण मंदिर के गीता वाटिका के बगीचे में है. जहां पर अब भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है. दूर दूर से लोग इस चमत्कारी जगह को देखने आते हैं. इस अलौकिक घटना का विवरण देते हुए मंदिर के पुजारी ने बताया- 1936 में गीता वाटिका (गोरखपुर) में एक वर्ष का अखण्ड-संकीर्तन हुआ था. “नारद भक्ति-सूत्र” पर गीता वाटिका मंदिर के संस्थापक रहे हनुमान प्रसाद पोद्दार ने एक विस्तृत टीका ग्रंथ लिखा था. वह ग्रंथ उन दिनों प्रकाशित हो रहा था. भागवत की कथा में भी नारद जी का हनुमान प्रसाद पोद्दार ने प्रसंग सुन रखा था. इस दौरान नारद जी के प्रति हनुमान प्रसाद के मन में बड़ी भावना पैदा हुई और हनुमान प्रसाद पोद्दार उर्फ भाई जी को बार-बार उनके दर्शनों की लालसा जगने लगी.
‘नारद और अंगिरा ने दिए दर्शन’
दावा है कि एक रात उनके स्वप्न में दो तेजोमय ब्राह्मण दिखाई दिये. जिन्हें हनुमान प्रसाद पोद्दार पहचान न सके. परिचय पूछने पर उन्होंने बताया कि हम दोनों नारद और अंगिरा हैं. फिर उन्होंने कहा “हम कल दिन में तीन बजे तुमसे मिलने के लिए प्रत्यक्ष रूप में आयेंगे.”
कहा जाता है कि इस सपने के बाद हनुमान प्रसाद पोद्दार ने पीछे बगीचे में स्थित इमली के पेड़ों के पास एक कुटिया साफ करा कर उसके सामने एक बेंच लगवा दी. उसपर दो आसन लगा दिये. साथ ही उन्होंने किसी भी व्यक्ति से इसकी चर्चा नहीं की और उनकी प्रतीक्षा में वह स्वयं अपने निवास स्थान के बाहर बरामदे में बैठ गये और प्रतीक्षा करने लगे.
‘पीछे पीछे साथ चल दिये हनुमान प्रसाद’
ये दावा है कि ठीक तीन बजे दो ब्राह्मण आये और हनुमान प्रसाद पोद्दार से मिलना चाहा. हनुमान प्रसाद उन्हें पहचान गए. ठीक वही आकृति, वही स्वरूप जो उन्होंने रात के सपने में देखा था. दोनों देवता पीछे बगीचे में बढ़ने लगे और हनुमान प्रसाद भी पीछे-पीछे चलने लगे. दोनों लोग उसी एकांत कुटिया पर पहुंचे. दावा है कि यहां आसन पर बैठते ही दोनों का वास्तविक रूप प्रकट हो गया.
अक्सर मिलने आया करते थे नारदजी
भगवान के दर्शन का दावा करने वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार के हवाले से ये भी दावा किया जाता है कि वे मानव जैसी वाणी में बोल रहे थे. वे जिस व्यक्ति के सामने प्रकट होते हैं, उसे उसकी समझ में आने वाली भाषा में बोलते हैं. नारदजी ने हनुमान प्रसाद के सामने बहुत-से गूढ़ तत्वों का रहस्योद्घाटन किया. दावा ये भी है कि नारद स्वयं हनुमान प्रसाद से वार्तालाप करने के लिए पधारते रहते थे.
गौरतलब है कि ये तमाम बातें दावों और मान्यताओं के आधार पर लिखी गई हैं.
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