बलरामपुर के पूर्व सांसद और पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में शुमार रिजवान जहीर (Rizwan Zaheer) की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. क्योंकि योगी सरकार उन पर रासुका लगाने की तैयारी कर रही है. यूपी में 26 अप्रैल को तीसरे चरण के पंचायत तुनाव (Panchayat Chunav) में मतदान के बाद तुलसीपुर थाना क्षेत्र के लौकीकला गांव में आगजनी और बवाल के आरोप के बाद पुलिस ने रिजवान जहीर को गिरफ्तार किया था.
पुलिस रिजवान जहीर का आपराधिक इतिहास खंगालने में जुटी है. आपराधिक इतिहास को आधार बनाकर रिजवान जहीर पर और शिकंजा कसने की तैयारी है. रिजवान जहीर तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. रिजवान जहीर की पत्नी हुमा रिजवान दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है.
राजनीतिक कैरियर शुरू करने के पहले रिजवान जहीर की छवि एक दबंग के रूप में थी. रिजवान जहीर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 1989 में तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव जीता था. 1993 में समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए. 1996 में रिजवान जहीर ने बसपा की सदस्यता ली और तीसरी बार विधायक चुने गए. 1998 में फिर समाजवादी पार्टी में लौट आए और बलरामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी से सांसद चुने गए. 1999 में रिजवान जहीर दोबारा समाजवादी पार्टी के ही टिकट पर सांसद चुने गए. 2004 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से संबंध बिगड़ने पर रिजवान जहीर ने सपा छोड़ दी थी.
उन्होंने 2004 में बसपा के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और इनका मुकाबला बीजेपी के दबंग नेता बृज भूषण शरण सिंह से हुआ जिसमें रिजवान जहीर को मात खानी पड़ी. इसके बाद रिजवान जहीर कोई चुनाव नहीं जीत सके. हालांकि उनकी पत्नी 2005 और 2010 में जिला पंचायत की अध्यक्ष बनी थी. रिजवान जहीर ने 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए. सन् 2014 में उन्होंने पीस पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती लोकसभा से चुनाव लड़ा और फिर हार गए .
कांग्रेस में गए, फिर लौटे बसपा
रिजवान जहीर के राजनैतिक रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर तुलसीपुर पहुंचकर इन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी. लेकिन कुछ दिन कांग्रेस में रहने के बाद रिजवान फिर बसपा में लौट आए. रिजवान जहीर पर जिले के विभिन्न थानों में 12 अभियोग पंजीकृत थे .उन पर हत्या, हत्या का प्रयास और हत्या की साजिश रचने के साथ ही आत्महत्या के प्रयास का भी मुकदमा दर्ज है. आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा आज भी न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि शेष मुकदमों में रिजवान जहीर को न्यायालय से बरी किया जा चुका है.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2021, 10:43 IST