EXCLUSIVE: युवा IAS अदिति सिंह के जज्बे और मैनेजमेंट से हापुड़ में हारा कोरोना वायरस

हापुड़ की जिलाधिकारी अदिति सिंह.
हापुड़ में जो 71 वर्षीय शख्स सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाया गया था, उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब इसको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर अपने क्वारंटाइन सेंटर में लेकर जाया जाएगा.
- News18Hindi
- Last Updated: April 18, 2020, 12:22 PM IST
हापुड़. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हापुड़ शहर को जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से अब तक बचाकर रखा हुआ था. अचानक दिल्ली के मजहबी क्लस्टर से निकले कुछ लोगों ने पनाह के लिए अपना रुख हापुड़ शहर की तरफ कर दिया. गनीमत रही कि यहां का प्रशासन सक्रिय था. समय रहते जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर इन लोगों को क्वारंटाइन किया और कोरोना वायरस के संक्रमण को काफी हद तक रोक लिया. चुनौतियां सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी. इन्हीं चुनौतियों के समझने के लिए हापुड़ की जिलाधिकारी अदिति सिंह से न्यूज 18 हिंदी के विशेष संवाददाता अनूप कुमार मिश्र ने विस्तार से बात की. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हापुड़ जिले की मौजूदा स्थिति क्या है. आपकी निगाह में संक्रमण फैलने की मूल वजह क्या रही?
हापुड़ जिले में 2 अप्रैल को पहले COVID-19 पॉजिटिव केस की पुष्टि हुई थी. पहला कोरोना पॉजिटिव थाईलैंड मूल का 71 वर्षीय शख्स था, जो दिल्ली के मजहबी जलसे में शामिल होने के बाद हापुड़ आया था. वह अपने आठ अन्य साथियों के साथ शहर की एक मस्जिद में छिपा हुआ था. प्रशासन ने एक सूचना के आधार पर इन सभी को मस्जिद से निकाल कर क्वारंटाइन किया था. जांच में इन सभी 9 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी. एक तरह से कहा जाए तो हापुड़ जिले में कोरोना वायरस के पहले विजिबल सोर्स यही 9 लोग थे. फिलहाल हापुड़ में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 16 तक सीमित है. एक राहत देने वाली खबर यह भी है कि हापुड़ में जो 71 वर्षीय शख्स सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, उसकी कर देर शाम उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. आज हम इसको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर अपने क्वारंटाइन सेंटर में लेकर आएंगे.
कुछ मजहबी लोगों के जरिए कोरोना वायरस हापुड़ तक पहुंचने में सफल हो गया. अब यह वायरस ज्यादा लोगों को अपना शिकार न बना पाए, इसके लिए जिला प्रशासन किस तरह के कदम उठा रहा है?हापुड़ में पहले चरण में 9 और दूसरे चरण में 7 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने पुष्टि हुई थी. इन सभी मरीजों को हापुड़ के गढ़ रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. 30 बेड की क्षमता वाले इस सामुदायिक केंद्र को COVID-19 के मानकों के तहत नए सिरे से तैयार किया गया है. यहां मरीजों की देखभाल के लिए 25 सदस्यों की दो टीमें गठित की गई हैं. इस केंद्र में PPE किट, एन-95 मास्क, सैनेटाइजर, ट्रिपल लेयर मास्क सहित सभी आवश्यक उपकरण एवं दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं. जहां तक एहतियाती कदम की बात है तो जिला प्रशासन ने 16 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ध्यान में रखते हुए 8 हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं. इसके अलावा सभी इलाकों में लॉकडाउन जारी है, जिसका कड़ाई से पालन कराया जा रहा है.
लॉकडाउन घोषित होने के साथ बड़ी तादाद में लोगों का पलायन शुरू हुआ. आशंका जताई जा रही है कि बड़े शहरों से पलायन करके आए लोग संक्रमण बढ़ाने में मददगार बन सकते हैं?
जिला प्रशासन के साथ पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग एक ज्वाइंट टीम की तरह काम कर रहे हैं. हम स्वास्थ्य विभाग, पुलिस के खुफिया तंत्र और स्थानीय नागरिकों की मदद से बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रख रहे हैं. इसमें विदेश से आने वाले वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिला प्रशासन ने पुलिस सहित दूसरी एजेंसियों की मदद से अब तक विदेश से आने वाले 150 से अधिक लोगों को चिन्हित किया है. इन सभी का मेडिकल टीम द्वारा परीक्षण किया गया, फिर 14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया है. जहां तक पलायन की बात है तो जनपद में 40 मोबाइल मेडिकल टीम द्वारा सक्रियता से कार्य करते हुए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र से 16 अप्रैल तक बाहर से आने वाले 6854 व्यक्तियों को पिछले 5 सप्ताह मे होम क्वारंटाइन किया गया है.

जब हम होम क्वारंटाइन की बात करते हैं तो बड़ी समस्या यह आती है कि लोग इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बीते दिनों बिहार के सीवान से सामने आया था, जहां क्वारंटाइन के दौरान लापरवाही बरतने वाले एक शख्स ने अपने परिवार के 23 लोगों को कोरोना से संक्रमित कर दिया था.
जहां तक हापुड़ जिले के बात है तो जिन लोगों को होम क्वारंटाइन किया जा रहा है, उनके घरों पर नाम, क्वारंटाइन की तिथि अंकित करते हुए नोटिस चस्पा कराए गए हैं. उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि यदि इनके द्वारा होम कवारंटाइन के नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो इनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी क्रम में गढ़मुक्तेश्वर में एक और हापुड़ में तीन एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. इसके अलावा, हमने एक कॉल सेंटर भी स्थापित किया है. कॉल सेंटर के जरिए हम लगातार फोन कर यह सुनिश्चित करते हैं कि उक्त शख्स होम क्वारंटाइन का पालन कर रहा है या नहीं. वेरिफकेशन के दौरान कोई भी शख्स होम क्वारंटाइन का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. जैसा कि आपको पहले बताया, अब तक इस तरह के मामले में चार एफआईआर हो चुकी हैं.
जिले की सीमाएं एक तरफ मेरठ से तो दूसरी तरफ गाजियाबाद से सटी हुई हैं. ये दोनों जिले ऐसे हैं जहां पर सीमावर्ती इलाको को हॉटस्पॉट चिन्हित किया गया है. ऐसे में आप संक्रमण को अपने जनपद की सीमा से बाहर रखने में कैसे कामयाब रहीं?
जनपद हापुड़ में ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल एवं प्रधानों के माध्यम से गांव में बाहर से आने वाले व्यक्तियों के बारे में सूचना एकत्रित की जाती है. जैसे ही हमें किसी भी शख्स के बाहर से आने की सूचना मिलती है, तो हम त्वरित कार्रवाई करते हुए उनको परिस्थिति के अनुसार होम क्वारंटाइन या संस्थागत क्वारंटाइन के लिए भेज देते हैं. साथ ही, सैनेटाइजेशन का काम सभी ग्राम पंचायतों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्र में प्रभावी ढंग से किया जा रहा है. इससे संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है. मेडिकल टीम द्वारा चयनित स्थल एवं सूचनाओं के आधार पर तत्परता से कार्रवाई करते हुए संदिग्ध व्यक्तियों को संस्थागत क्वारंटाइन में पहुंचाकर संक्रमण को रोका जा रहा है. वर्तमान समय में जिले में 8 हॉटस्पॉट चिन्हित हैं, जिसमें मजिस्ट्रेट, पुलिस एवं मेडिकल टीम घर-घर जाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है तथा पॉजिटिव मरीजों का उचित इलाज किया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान जनता कितना सहयोग कर रही है? खासकर अफवाहों को रोकने पर जिला प्रशासन किस तरह से काम कर रहा है?
लॉकडाउन के दौरान जनता द्वारा पूर्ण सहयोग किया जा रहा है. अफवाहों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर साइबर टीम नजर रख रही है. इसके अलावा, विभिन्न धर्म गुरुओं व समाज के बुद्धिजीवी व्यक्तियों के साथ वार्ता कर सहयोग लिया जा रहा है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जा रहा है. इसके अलावा जनपद में समस्त गतिविधि एवं जनपद के हित में उठाए जाने वाले सभी कदमों की सूचना भी उपलब्ध कराई जा रही है.
जिन इलाकों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है, उन इलाकों में लोगों तक आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में हॉटस्पॉट के दायरे में आने वाले हर परिवार का ध्यान प्रशासन कैसे रख पा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान जिले में चिन्हित 8 हॉटस्पॉट पर डोर-स्टेप-डिलीवरी के माध्यम से खाद्यान्न एवं आवश्यक सामान की उपलब्धता कराई जा रही है. हर शख्स तक तक उसकी जरूरत का सामान पहुंचे, इसकी जिम्मेदारी जिला पूर्ति अधिकारी, जिला अभिहित अधिकारी, औषधि निरीक्षक एवं मंडी सचिव को सौंपी गई हैं. हॉटस्पॉट के अंतर्गत आने वाले इलाकों में उचित दर विक्रेता के माध्यम से राशन का वितरण किया जा रहा है. 173 व्यक्तियों द्वारा दूध की डिलीवरी की जा रही है. 363 मोबाइल वैन, ई-रिक्शा, ट्रैक्टर व ठेलों की मदद से लोगों तक फल, सब्जी सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. मोबाइल बैंक के माध्यम से हॉटस्पॉट एरिया में जनता को आवश्यक वित्तीय सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. साथ ही, डाकघर के कर्मियों द्वारा आईपीएस आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से नकदी की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई जा रही है.

इन सारी बातों से इतर, अब बात करते हैं, उन लोगों की जो रोज कमाते-खाते थे. उनके सामने यह समय बेहद कठिन है. जिला प्रशासन उनकी मदद कैसे कर पा रहा है?
जनपद में गरीबों एवं निराश्रित तथा बेरोजगार व्यक्तियों को आवश्यक खाद्य सामग्री व पका भोजन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन पांच कम्युनिटी किचन का संचालन कर रहा है. 9 गैर सरकारी संगठनों को भी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने की इजाजत दी गई है. 26 मार्च से पका भोजन व खाद्यान्न का वितरण कराया जा रहा है. अब तक कुल 1,53,932 फूड पैकेट का वितरण कराया जा चुका है. वहीं, जनपद में कार्ड धारकों को प्रति यूनिट 5 किलो के हिसाब से निशुल्क खाद्यान्न का वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण विभाग योजना के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा घोषित डीबीटी के माध्यम से ₹1000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से पंजीकृत श्रमिकों को उपलब्ध कराया जा रहा है. अब तक श्रम विभाग द्वारा 8104 खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है. इतना ही नहीं 6541 अपंजीकृत एवं रेहड़ी वालों के खाते में 1000 रुपए के हिसाब से ट्रांसफर किया जा चुका है.
गेहूं की खरीद शुरू हो गई है, जिले में कितने केंद्र हैं और किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण कैसे हो रहा है?
जनपद में किसानों का गेहूं समय से निर्धारित दर पर खरीदने के लिए शासन द्वारा जारी निर्देशों के क्रम में व्यवस्था की गई है. पीसीएफ, खाद्य विभाग एवं भारतीय खाद्य निगम के द्वारा कुल 25 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं. इसके माध्यम से 15,000 टन खरीद का लक्ष्य प्राप्त हुआ है. क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है. क्रय केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में पैसा, बोरा, बाट माप की व्यवस्था की गई है. खाद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर किसान पंजीकृत करा सकते हैं. इसके साथ-साथ किसान क्रय केंद्र पर आकर भी पंजीकरण करा सकते हैं, जिसका सत्यापन संबंधित उप जिलाधिकारी के करने के उपरांत गेहूं क्रय करने की व्यवस्था है. ऑनलाइन टोकन जारी करते हुए कृषकों से गेहूं की खरीद सुनिश्चित की जाती है. सभी क्रय केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हापुड़ जिले की मौजूदा स्थिति क्या है. आपकी निगाह में संक्रमण फैलने की मूल वजह क्या रही?
हापुड़ जिले में 2 अप्रैल को पहले COVID-19 पॉजिटिव केस की पुष्टि हुई थी. पहला कोरोना पॉजिटिव थाईलैंड मूल का 71 वर्षीय शख्स था, जो दिल्ली के मजहबी जलसे में शामिल होने के बाद हापुड़ आया था. वह अपने आठ अन्य साथियों के साथ शहर की एक मस्जिद में छिपा हुआ था. प्रशासन ने एक सूचना के आधार पर इन सभी को मस्जिद से निकाल कर क्वारंटाइन किया था. जांच में इन सभी 9 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी. एक तरह से कहा जाए तो हापुड़ जिले में कोरोना वायरस के पहले विजिबल सोर्स यही 9 लोग थे. फिलहाल हापुड़ में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 16 तक सीमित है. एक राहत देने वाली खबर यह भी है कि हापुड़ में जो 71 वर्षीय शख्स सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, उसकी कर देर शाम उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. आज हम इसको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर अपने क्वारंटाइन सेंटर में लेकर आएंगे.
कुछ मजहबी लोगों के जरिए कोरोना वायरस हापुड़ तक पहुंचने में सफल हो गया. अब यह वायरस ज्यादा लोगों को अपना शिकार न बना पाए, इसके लिए जिला प्रशासन किस तरह के कदम उठा रहा है?हापुड़ में पहले चरण में 9 और दूसरे चरण में 7 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने पुष्टि हुई थी. इन सभी मरीजों को हापुड़ के गढ़ रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. 30 बेड की क्षमता वाले इस सामुदायिक केंद्र को COVID-19 के मानकों के तहत नए सिरे से तैयार किया गया है. यहां मरीजों की देखभाल के लिए 25 सदस्यों की दो टीमें गठित की गई हैं. इस केंद्र में PPE किट, एन-95 मास्क, सैनेटाइजर, ट्रिपल लेयर मास्क सहित सभी आवश्यक उपकरण एवं दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं. जहां तक एहतियाती कदम की बात है तो जिला प्रशासन ने 16 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ध्यान में रखते हुए 8 हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं. इसके अलावा सभी इलाकों में लॉकडाउन जारी है, जिसका कड़ाई से पालन कराया जा रहा है.
लॉकडाउन घोषित होने के साथ बड़ी तादाद में लोगों का पलायन शुरू हुआ. आशंका जताई जा रही है कि बड़े शहरों से पलायन करके आए लोग संक्रमण बढ़ाने में मददगार बन सकते हैं?
जिला प्रशासन के साथ पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग एक ज्वाइंट टीम की तरह काम कर रहे हैं. हम स्वास्थ्य विभाग, पुलिस के खुफिया तंत्र और स्थानीय नागरिकों की मदद से बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रख रहे हैं. इसमें विदेश से आने वाले वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिला प्रशासन ने पुलिस सहित दूसरी एजेंसियों की मदद से अब तक विदेश से आने वाले 150 से अधिक लोगों को चिन्हित किया है. इन सभी का मेडिकल टीम द्वारा परीक्षण किया गया, फिर 14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया है. जहां तक पलायन की बात है तो जनपद में 40 मोबाइल मेडिकल टीम द्वारा सक्रियता से कार्य करते हुए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र से 16 अप्रैल तक बाहर से आने वाले 6854 व्यक्तियों को पिछले 5 सप्ताह मे होम क्वारंटाइन किया गया है.

अदिति सिंह 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं.
जब हम होम क्वारंटाइन की बात करते हैं तो बड़ी समस्या यह आती है कि लोग इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बीते दिनों बिहार के सीवान से सामने आया था, जहां क्वारंटाइन के दौरान लापरवाही बरतने वाले एक शख्स ने अपने परिवार के 23 लोगों को कोरोना से संक्रमित कर दिया था.
जहां तक हापुड़ जिले के बात है तो जिन लोगों को होम क्वारंटाइन किया जा रहा है, उनके घरों पर नाम, क्वारंटाइन की तिथि अंकित करते हुए नोटिस चस्पा कराए गए हैं. उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि यदि इनके द्वारा होम कवारंटाइन के नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो इनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी क्रम में गढ़मुक्तेश्वर में एक और हापुड़ में तीन एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. इसके अलावा, हमने एक कॉल सेंटर भी स्थापित किया है. कॉल सेंटर के जरिए हम लगातार फोन कर यह सुनिश्चित करते हैं कि उक्त शख्स होम क्वारंटाइन का पालन कर रहा है या नहीं. वेरिफकेशन के दौरान कोई भी शख्स होम क्वारंटाइन का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. जैसा कि आपको पहले बताया, अब तक इस तरह के मामले में चार एफआईआर हो चुकी हैं.
जिले की सीमाएं एक तरफ मेरठ से तो दूसरी तरफ गाजियाबाद से सटी हुई हैं. ये दोनों जिले ऐसे हैं जहां पर सीमावर्ती इलाको को हॉटस्पॉट चिन्हित किया गया है. ऐसे में आप संक्रमण को अपने जनपद की सीमा से बाहर रखने में कैसे कामयाब रहीं?
जनपद हापुड़ में ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल एवं प्रधानों के माध्यम से गांव में बाहर से आने वाले व्यक्तियों के बारे में सूचना एकत्रित की जाती है. जैसे ही हमें किसी भी शख्स के बाहर से आने की सूचना मिलती है, तो हम त्वरित कार्रवाई करते हुए उनको परिस्थिति के अनुसार होम क्वारंटाइन या संस्थागत क्वारंटाइन के लिए भेज देते हैं. साथ ही, सैनेटाइजेशन का काम सभी ग्राम पंचायतों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्र में प्रभावी ढंग से किया जा रहा है. इससे संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है. मेडिकल टीम द्वारा चयनित स्थल एवं सूचनाओं के आधार पर तत्परता से कार्रवाई करते हुए संदिग्ध व्यक्तियों को संस्थागत क्वारंटाइन में पहुंचाकर संक्रमण को रोका जा रहा है. वर्तमान समय में जिले में 8 हॉटस्पॉट चिन्हित हैं, जिसमें मजिस्ट्रेट, पुलिस एवं मेडिकल टीम घर-घर जाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है तथा पॉजिटिव मरीजों का उचित इलाज किया जा रहा है.

प्रशिक्षण के उपरांत 2011 में लखनऊ की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नियुक्त हुईं थी अदिति सिंह.
लॉकडाउन के दौरान जनता कितना सहयोग कर रही है? खासकर अफवाहों को रोकने पर जिला प्रशासन किस तरह से काम कर रहा है?
लॉकडाउन के दौरान जनता द्वारा पूर्ण सहयोग किया जा रहा है. अफवाहों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर साइबर टीम नजर रख रही है. इसके अलावा, विभिन्न धर्म गुरुओं व समाज के बुद्धिजीवी व्यक्तियों के साथ वार्ता कर सहयोग लिया जा रहा है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जा रहा है. इसके अलावा जनपद में समस्त गतिविधि एवं जनपद के हित में उठाए जाने वाले सभी कदमों की सूचना भी उपलब्ध कराई जा रही है.
जिन इलाकों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है, उन इलाकों में लोगों तक आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में हॉटस्पॉट के दायरे में आने वाले हर परिवार का ध्यान प्रशासन कैसे रख पा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान जिले में चिन्हित 8 हॉटस्पॉट पर डोर-स्टेप-डिलीवरी के माध्यम से खाद्यान्न एवं आवश्यक सामान की उपलब्धता कराई जा रही है. हर शख्स तक तक उसकी जरूरत का सामान पहुंचे, इसकी जिम्मेदारी जिला पूर्ति अधिकारी, जिला अभिहित अधिकारी, औषधि निरीक्षक एवं मंडी सचिव को सौंपी गई हैं. हॉटस्पॉट के अंतर्गत आने वाले इलाकों में उचित दर विक्रेता के माध्यम से राशन का वितरण किया जा रहा है. 173 व्यक्तियों द्वारा दूध की डिलीवरी की जा रही है. 363 मोबाइल वैन, ई-रिक्शा, ट्रैक्टर व ठेलों की मदद से लोगों तक फल, सब्जी सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. मोबाइल बैंक के माध्यम से हॉटस्पॉट एरिया में जनता को आवश्यक वित्तीय सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. साथ ही, डाकघर के कर्मियों द्वारा आईपीएस आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से नकदी की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई जा रही है.

पीलीभीत, रायबरेली, सुल्तानपुर और उन्नाव की जिलाधिकारी रह चुकी हैं अदिति सिंह.
इन सारी बातों से इतर, अब बात करते हैं, उन लोगों की जो रोज कमाते-खाते थे. उनके सामने यह समय बेहद कठिन है. जिला प्रशासन उनकी मदद कैसे कर पा रहा है?
जनपद में गरीबों एवं निराश्रित तथा बेरोजगार व्यक्तियों को आवश्यक खाद्य सामग्री व पका भोजन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन पांच कम्युनिटी किचन का संचालन कर रहा है. 9 गैर सरकारी संगठनों को भी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने की इजाजत दी गई है. 26 मार्च से पका भोजन व खाद्यान्न का वितरण कराया जा रहा है. अब तक कुल 1,53,932 फूड पैकेट का वितरण कराया जा चुका है. वहीं, जनपद में कार्ड धारकों को प्रति यूनिट 5 किलो के हिसाब से निशुल्क खाद्यान्न का वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण विभाग योजना के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा घोषित डीबीटी के माध्यम से ₹1000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से पंजीकृत श्रमिकों को उपलब्ध कराया जा रहा है. अब तक श्रम विभाग द्वारा 8104 खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है. इतना ही नहीं 6541 अपंजीकृत एवं रेहड़ी वालों के खाते में 1000 रुपए के हिसाब से ट्रांसफर किया जा चुका है.
गेहूं की खरीद शुरू हो गई है, जिले में कितने केंद्र हैं और किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण कैसे हो रहा है?
जनपद में किसानों का गेहूं समय से निर्धारित दर पर खरीदने के लिए शासन द्वारा जारी निर्देशों के क्रम में व्यवस्था की गई है. पीसीएफ, खाद्य विभाग एवं भारतीय खाद्य निगम के द्वारा कुल 25 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं. इसके माध्यम से 15,000 टन खरीद का लक्ष्य प्राप्त हुआ है. क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है. क्रय केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में पैसा, बोरा, बाट माप की व्यवस्था की गई है. खाद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर किसान पंजीकृत करा सकते हैं. इसके साथ-साथ किसान क्रय केंद्र पर आकर भी पंजीकरण करा सकते हैं, जिसका सत्यापन संबंधित उप जिलाधिकारी के करने के उपरांत गेहूं क्रय करने की व्यवस्था है. ऑनलाइन टोकन जारी करते हुए कृषकों से गेहूं की खरीद सुनिश्चित की जाती है. सभी क्रय केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.