हरदोई. ‘तुम मुझे खून दो, मै तुम्हें आजादी दूंगा’ इस नारे से देशभक्ति का जज्बा भरकर हमें आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज खुद सलाखों के पीछे हैं. आप सोच रहे होंगे कैसे? दरअसल, सदर मालखाने में 21 सालों से नेताजी की प्रतिमा कैद है. यूं तो प्रतिमा किसी और मकसद से आई थी, लेकिन फिलहाल नेताजी की सुधबुध लेने वाला कोई नहीं है और उनकी प्रतिमा धूल खा रही है. रविवार को नेताजी की जयंती है, ऐसे में यदि प्रशासन तोहफे के तौर पर उनकी प्रतिमा से धूल हटाकर उसे उचित स्थान देता तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता.
दरअसल, साल 2000 में शहर में नेताजी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए इस मूर्ति को लाया गया था. उस दौरान प्रतिमा लगाने को लेकर किसी बात को लेकर विवद हो गया था. इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने प्रतिमा को कस्टडी में ले लिया. शिवसेना से जुड़े रहे अंकित गुप्ता के अनुसार, इस प्रकरण को लेकर कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर दिया है, ताकि यूं बेकद्री का शिकार हो रही नेताजी की प्रतिमा को फिर से बाहर लाया जा सके.
शिवसेना व पंडित शिवराम मिश्र जनकल्याण सेवा समिति और जयहिंद सेवा समिति के पदाधिकारियों ने कई बार नेताजी की प्रतिमा को रिलीज कराने की मांग भी की, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रिया का हवाला देते हुए स्थानीय अधिकारियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई.
होने लगी है जर्जर
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश के लिए अपना हर दिन न्योछावर करने वाले देशभक्त नेताजी की प्रतिमा को आज एक-एक दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. देखरेख के अभाव में प्रतिमा खराब होने लगी है और उनका चश्मा भी टूट चुका है. गौरतलब है कि आजाद हिंद फौज के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगाने के लिए शहर के अस्पताल चौराहे को चिन्हित किया गया था, किन्तु आबिद पेट्रोल पंप व गोपामऊ प्राइवेट बस स्टैंड के अवैध कब्जे की वजह से जिम्मेदार नाकाम रहे. इससे भूमि उपलब्ध नहीं हो पाई. नतीजतन नेताजी की प्रतिमा 21 वर्षों से सलाखों के पीछे धूल फांक रही है.
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