हाथरस में डिलीवरी के दौरान बंदरिया का हुआ बुरा हाल, समाजसेवी दंपत्ति ने बचाई जान

सामाजिक कार्यकर्ता बंदर की सेवा करते हुए
हाथरस में एक समाजसेवी दंपत्ति (Social Activist Cople) ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक जिंदगी और मौत से जूझ रही असहाय विकलांग बंदरिया की जान बचाई. दंपत्ति द्वारा किए इस कार्य की शहर में चारों ओर तारीफ हो रही है.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: May 18, 2020, 2:56 PM IST
हाथरस. उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक समाजसेवी दंपति (Social Activist Couple) ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक असहाय बंदरिया की जान बचाई. पति शिवशंकर गुलाटी (Shivshankar Gulati) ने अपनी पत्नी राधा गुलाटी (Radha Gulati) के साथ मिलकर बंदरिया को मौत के मुंह में निकाला है. बंदरिया के स्वास्थ्य खराब होने की सूचना जैसे ही गुलाटी दंपति के पास पहुंची कि हाथरस में सट्टा बाजार के पास एक विकलांग मादा बंदर मुसीबत में फंसी हुई है तो उन्होंने वहां पहुंचकर उसकी जान बचाई.
बंदरिया कई दिनों से थी परेशान
उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस में कई दिनों से एक बंदरिया जिंदगी और मौत से जूझ रही थी. दरअसल बंदरिया को कुछ दिन पूर्व प्रसव हुआ था. कुछ कारणों से बच्चा समय से पहले गर्भ से बाहर आ गया और इस कारण नवजात की मौत हो गई. बच्चा गर्भाशय के पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया और इस हालत से परेशान होकर बंदरिया यहां से वहां भटकती रही. वह दर्द से बहुत परेशान रह रही थी. इसकी सूचना किसी ने इस समाजसेवी दंपत्ति को दी.
प्रसव पूरा करायाराधा गुलाटी पेशे से नर्स हैं. वे बंदरिया की मदद के लिए अपने पति के साथ वहां पहुंची और इंजेक्शन लगाकर विकलांग मादा बंदरिया का अच्छी तरह से प्रसव करवा कर उसके मरे हुए बच्चे को उसके शरीर से अलग किया. इसके बाद बंदरिया की जान में जान आई.
बंदरिया ने दंपति को किया घायल
गुलाटी दंपति जब बंदरिया के मरे हुए बच्चे को शरीर से अलगर रखकर किनारे रखने लगे तब अचानक बंदरिया को होश आ गया. बंदरिया ने होश आते ही गुलाटी दम्पत्ति पर ही हमला कर दिया, जिससे वे दोनों घायल हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने दोनों को बचाया और उनका इलाज भी कराया. समाजसेवी दंपति की इस पहल को लोगों ने काफी सराहा. गुलाटी दंपत्ति कोरोना काल में जानवरों के साथ साथ प्रवासी मजदूरों की भी हरसंभव मदद कर रहे हैं.
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बंदरिया कई दिनों से थी परेशान
उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस में कई दिनों से एक बंदरिया जिंदगी और मौत से जूझ रही थी. दरअसल बंदरिया को कुछ दिन पूर्व प्रसव हुआ था. कुछ कारणों से बच्चा समय से पहले गर्भ से बाहर आ गया और इस कारण नवजात की मौत हो गई. बच्चा गर्भाशय के पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया और इस हालत से परेशान होकर बंदरिया यहां से वहां भटकती रही. वह दर्द से बहुत परेशान रह रही थी. इसकी सूचना किसी ने इस समाजसेवी दंपत्ति को दी.
प्रसव पूरा करायाराधा गुलाटी पेशे से नर्स हैं. वे बंदरिया की मदद के लिए अपने पति के साथ वहां पहुंची और इंजेक्शन लगाकर विकलांग मादा बंदरिया का अच्छी तरह से प्रसव करवा कर उसके मरे हुए बच्चे को उसके शरीर से अलग किया. इसके बाद बंदरिया की जान में जान आई.
बंदरिया ने दंपति को किया घायल
गुलाटी दंपति जब बंदरिया के मरे हुए बच्चे को शरीर से अलगर रखकर किनारे रखने लगे तब अचानक बंदरिया को होश आ गया. बंदरिया ने होश आते ही गुलाटी दम्पत्ति पर ही हमला कर दिया, जिससे वे दोनों घायल हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने दोनों को बचाया और उनका इलाज भी कराया. समाजसेवी दंपति की इस पहल को लोगों ने काफी सराहा. गुलाटी दंपत्ति कोरोना काल में जानवरों के साथ साथ प्रवासी मजदूरों की भी हरसंभव मदद कर रहे हैं.
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