एक लाख के इनामी बदमाश ने लखनऊ पुलिस की नाक में किया दम, पढ़ें पूरी कहानी

हत्या का आरोपी और एक लाख का इनामी बदमाश गिरधारी विश्वकर्मा.
अजीत सिंह हत्याकांड (Ajit Singh Murder) का आरोपी और एक लाख का इनामी बदमाश गिरधारी विश्वकर्मा एक बार फिर लखनऊ पुलिस (Lucknow Police) के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस बार बदमाश ने ऐसी चाल चल दी है कि लखनऊ पुलिस ने एक बार फिर उसके सरगर्मी से तलाश कर रही है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 11, 2021, 9:16 PM IST
लखनऊ. अगर आपने फिल्म गंगाजल (Gangajal) देखी है तो याद होगा कि कोर्ट (Court) में सरेंडर (Surrender) करने वाले अपराधी (Criminal) को पकड़ने के लिए पुलिस ने कोर्ट परिसर में ही जाल बिछा दिया था और उसे कोर्ट के सामने सरेंडर करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. ये कहानी भले ही फिल्मी हो लेकिन, सच्चाई के काफी करीब है. कहने का मतलब यह है कि पुलिस किसी भी हाल में ये नहीं चाहती कि वांटेड अपराधी गिरफ्तारी से पहले कोर्ट में सरेंडर करे. इससे पुलिस की क्षमता और ईमानदारी पूर्ण कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होने लगते हैं. हालांकि कि यह बात भी अलग है कि गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर पुलिस आरोपी को कोर्ट में पेश करती है.
लखनऊ के गोमतीनगर में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह का हत्यारोपी शूटर गिरधारी विश्वकर्मा ने लखनऊ की कोर्ट में सरेंडर के लिए अर्जी डाल दी है. इस खबर के बाद से यूपी पुलिस के होश फाख्ता हैं. एक लाख का इनामी बदमाश के सरेंडर की अर्जी चौंकाने वाली है. गिरधारी विश्वकर्मा कोई सामान्य शूटर नहीं है. उसे बुलेट प्रूफ गाड़ियों में चलने वाले लोगों की हत्या करने में मास्टरी हासिल है. सीधे खोपड़ी में गोली मारने वाला ये कुख्यात अपराधी अजीत सिंह से पहले भी कई लोगों की हत्या कर चुका है.
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एक लाख का इनामी बदमाश है गिरधारी विश्वकर्मापुलिस ने गिरधारी विश्वकर्मा पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है. लेकिन इसके बाद भी पुलिस आरोपी को नहीं पकड़ पाई. अब जब आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर की दर्जी लगा दी है तो पुलिस ने गिरधारी विश्वकर्मा की खोज तेज कर दी है.
कोर्ट ने पुलिस से पूछा- गिरधारी वांटेड है ?
वाराणसी में हत्या के बाद उसने लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाके में वारदात करने का दुस्साहस किया और फरार हो गया. इससे न सिर्फ उसके शातिराना रवैये का पता चलता है बल्कि इस बात की आशंका भी बलवती है कि कोई उसे छिपने का कोना तो नहीं दे रहा है. फिलहाल उसके सरेंडर एप्लीकेशन पर 13 जनवरी को यूपी पुलिस कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी.
वरिष्ठ क्राइम वकील आईबी सिंह ने बताया कि जब कोई सरेंडर के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल करता है तो कोर्ट पुलिस से ये बात पूछती है कि क्या सही में अमूक व्यक्ति वांटेड है. कोर्ट के इसी सवाल का जवाब यूपी पुलिस 13 जनवरी को देगी लेकिन, इतना तो तय है कि इस अर्जी के बाद गिरधारी को पकड़ने की उसकी तड़प और बढ़ गयी होगी.
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डीआईजी पद से रिटायर हुए आइपीएस जेके शाही ने इस बारे में कहा कि ऐसे किसी अपराधी के सरेंडर से पुलिस के बारे में ये तो कहा ही जाने लगता है कि पकड़ने में वो नाकाम रही. साथ ही पुलिस को भी ये अफसोस रहता है कि उसके तमाम प्रयासों के बावजूद आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सका. लेकिन, एक पहलू ये भी है कि यह भी पुलिस का ही दबाव है जो अब तक फरार रहा है उसे सामने आने के लिए विवश होना पड़ रहा है.
302 के मामले में सीजेएम कोर्ट में डाली जाती है सरेंडर एप्लीकेशन
एडवोकेट आईबी सिंह का मानना है कि सरेंडर को पुलिस की इज्जत से कभी जोड़कर नहीं देखना चाहिए. पुलिस की इज्जत हमेशा ऊंची होती है. वैसे भी गिरफ्तारी के बाद आरोपी को कोर्ट में लाना ही पड़ता है. बता दें कि गिरधारी विश्वकर्मा ने लखनऊ की सीजेएम कोर्ट में सरेंडर की एप्लीकेशन अपने वकील के माध्यम से डाली है. दफा 302 के मामले में सीजेएम कोर्ट में ही सरेंडर एप्लीकेशन डाली जाती है.
लखनऊ के गोमतीनगर में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह का हत्यारोपी शूटर गिरधारी विश्वकर्मा ने लखनऊ की कोर्ट में सरेंडर के लिए अर्जी डाल दी है. इस खबर के बाद से यूपी पुलिस के होश फाख्ता हैं. एक लाख का इनामी बदमाश के सरेंडर की अर्जी चौंकाने वाली है. गिरधारी विश्वकर्मा कोई सामान्य शूटर नहीं है. उसे बुलेट प्रूफ गाड़ियों में चलने वाले लोगों की हत्या करने में मास्टरी हासिल है. सीधे खोपड़ी में गोली मारने वाला ये कुख्यात अपराधी अजीत सिंह से पहले भी कई लोगों की हत्या कर चुका है.
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एक लाख का इनामी बदमाश है गिरधारी विश्वकर्मापुलिस ने गिरधारी विश्वकर्मा पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है. लेकिन इसके बाद भी पुलिस आरोपी को नहीं पकड़ पाई. अब जब आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर की दर्जी लगा दी है तो पुलिस ने गिरधारी विश्वकर्मा की खोज तेज कर दी है.
कोर्ट ने पुलिस से पूछा- गिरधारी वांटेड है ?
वाराणसी में हत्या के बाद उसने लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाके में वारदात करने का दुस्साहस किया और फरार हो गया. इससे न सिर्फ उसके शातिराना रवैये का पता चलता है बल्कि इस बात की आशंका भी बलवती है कि कोई उसे छिपने का कोना तो नहीं दे रहा है. फिलहाल उसके सरेंडर एप्लीकेशन पर 13 जनवरी को यूपी पुलिस कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी.
वरिष्ठ क्राइम वकील आईबी सिंह ने बताया कि जब कोई सरेंडर के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल करता है तो कोर्ट पुलिस से ये बात पूछती है कि क्या सही में अमूक व्यक्ति वांटेड है. कोर्ट के इसी सवाल का जवाब यूपी पुलिस 13 जनवरी को देगी लेकिन, इतना तो तय है कि इस अर्जी के बाद गिरधारी को पकड़ने की उसकी तड़प और बढ़ गयी होगी.
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डीआईजी पद से रिटायर हुए आइपीएस जेके शाही ने इस बारे में कहा कि ऐसे किसी अपराधी के सरेंडर से पुलिस के बारे में ये तो कहा ही जाने लगता है कि पकड़ने में वो नाकाम रही. साथ ही पुलिस को भी ये अफसोस रहता है कि उसके तमाम प्रयासों के बावजूद आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सका. लेकिन, एक पहलू ये भी है कि यह भी पुलिस का ही दबाव है जो अब तक फरार रहा है उसे सामने आने के लिए विवश होना पड़ रहा है.
302 के मामले में सीजेएम कोर्ट में डाली जाती है सरेंडर एप्लीकेशन
एडवोकेट आईबी सिंह का मानना है कि सरेंडर को पुलिस की इज्जत से कभी जोड़कर नहीं देखना चाहिए. पुलिस की इज्जत हमेशा ऊंची होती है. वैसे भी गिरफ्तारी के बाद आरोपी को कोर्ट में लाना ही पड़ता है. बता दें कि गिरधारी विश्वकर्मा ने लखनऊ की सीजेएम कोर्ट में सरेंडर की एप्लीकेशन अपने वकील के माध्यम से डाली है. दफा 302 के मामले में सीजेएम कोर्ट में ही सरेंडर एप्लीकेशन डाली जाती है.