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ललितपुर में किसान की मौत; खाद के लिए दर-दर भटका, 2 दिन लाइन में खड़ा रहा, फिर टूट गया दम

Lalitpur farmer death: ललितपुर में खाद के लिए किसान बेहाल हैं. 22 अक्टूबर को एक दुकान के बाहर खाद खरीदने के लिए लाइन में खड़े किसान की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई.

Lalitpur farmer death: ललितपुर में खाद के लिए किसान बेहाल हैं. 22 अक्टूबर को एक दुकान के बाहर खाद खरीदने के लिए लाइन में खड़े किसान की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई.

Lalitpur Farmer Death: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में जिस दिन एक किसान ने मंडी में अपनी फसल में आग लगा दी, उसी दिन ललितपुर ...अधिक पढ़ें

ललितपुर. उत्तर प्रदेश के दो जनपदों में बीते 22 अक्टूबर को हुई दो घटनाएं, किसानों की बदहाली की कहानी कहती हैं. इस दिन लखीमपुर खीरी की मंडी में एक किसान ने खरीद न होने पर धान की फसल में आग लगा दी. दूसरी ओर, बुंदेलखंड इलाके में पड़ने वाले ललितपुर में खाद के लिए दो दिनों से एक दुकान के आगे लाइन में खड़े किसान की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. प्रदेश में इस महीने की शुरुआत में किसानों के प्रदर्शन के दौरान जबर्दस्त हिंसा की घटना देशभर की सुर्खियां बनी थीं. माह के आखिरी सप्ताह तक आते-आते इन दोनों घटनाओं से एक बार फिर यूपी के किसानों की खस्ता हालत चर्चा में है.

ललितपुर के सदर कोतवाली के ग्राम नयागांव निवासी भोगी पाल की मौत यूं तो हार्ट अटैक से हुई, लेकिन उसके परिजन इस मौत के पीछे की कहानी कहते हुए रोने लगते हैं. 53 साल के भोगी पाल लंबे समय से खाद के लिए परेशान थे. दर-दर भटकने के बाद भी जब उन्हें फसल के लिए खाद नहीं मिली, तो वे जुगपुरा की एक दुकान पर दो दिनों से लाइन लगकर खाद खरीदने का प्रयास कर रहे थे. बीते शुक्रवार को इसी दुकान के आगे खड़े भोगी पाल अचानक जमीन पर गिर पड़े. वहां मौजूद लोग उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने कहा कि भोगी पाल का दम टूट चुका है.

खाद की कमी नहीं, लेकिन मौत पर मुआवजे का ऐलान

नयागांव निवासी भोगी पाल की मृत्यु के बाद उनके शव की ऑटोप्सी रिपोर्ट भी यही कहती है कि किसान की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन परिजन इसके पीछे जिले में पिछले कुछ समय से खाद की कमी को कारण बताते हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला प्रशासन हालांकि जनपद में खाद की कमी से साफ तौर पर इनकार करता है, लेकिन किसान की मौत के बाद सरकार से उसके परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद की गुजारिश जरूर करता है. सरकार ने अभी तक जिला प्रशासन की अपील पर गौर नहीं किया है, यह अलग बात है.

प्रशासन खाद नहीं दिला पा रहा, व्यापारी कर रहे कालाबाजारी

एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 बच्चों के पिता भोगी पाल के पास 2 एकड़ जमीन थी. इस जमीन में फसल की बुवाई करने से पहले वे खाद खरीदना चाहते थे. पिछले कुछ दिनों से लगातार जिले और गांव के आसपास खाद के लिए भटकने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली. थक-हारकर वे जुगपुरा में उस दुकान के पास दो दिनों से कतार में जाकर खड़े हो रहे थे, ताकि खाद मिल जाए. इसी दुकान के आगे हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई. भोगी पाल के रिश्तेदार राघवेंद्र ने अखबार को बताया कि खाद अगर मिल जाती तो भोगी पाल की मौत टल सकती थी. जिले में खेत तैयार हैं, लेकिन अन्नदाता बुवाई नहीं कर पा रहे हैं. जिले में खाद की भारी किल्लत है, जबकि व्यापारी जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं. प्रशासन किसानों को खाद उपलब्ध कराने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है.

किसान की मौत के बाद भाकियू बिफरा

ललितपुर में किसान की मौत जिस दिन हुई, उसके पहले तक खाद के लिए जिले के अन्य किसान भी सहकारी समितियों और दुकानों के चक्कर लगा रहे थे. यही वजह है कि उनके साथी की जब हार्ट अटैक से मृत्यु हुई, तो किसान बिफर पड़े. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव ने किसान की मौत को लेकर साफ तौर पर आरोप लगाया कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते किसान की मौत हुई है. किसान के परिवार को तत्काल ही मुआवजा दिया जाना चाहिए.

Tags: Farmer Death, Lalitpur news, Up hindi news

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