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योगी आदित्यनाथ के राज में 'नाथ' होकर भी अनाथ हैं, गुरु गोरखनाथ के 'चेले'

विकास से कोसों दूर हैं नाथ संप्रदाय के लोग

विकास से कोसों दूर हैं नाथ संप्रदाय के लोग

गुरु गोरखनाथ को अपना मुख्य आराध्य मानने वाले नाथ संप्रदाय का मुख्य व्यवसाय सापों से जुड़ा हुआ है. ये विषैले सांपों को पक ...अधिक पढ़ें

    नाथ होकर भी अनाथ है, गुरु गोरखनाथ के 'चेले'. जी हां बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में निवास करने वाली नाथ (सपेरा) संप्रदाय की स्थिति कुछ ऐसी ही बनी हुई है. इस जाति के लोग न केवल भूख, अशिक्षा, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, बल्कि इन्हें सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जनजाति की बजाय समान्य वर्ग में रखे जाने की वजह से दोयम दर्जे की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. यह तब है जब नाथ संप्रदाय के मुखिया सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं.

    यूं तो बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में गोड़, सहरिया, कोल आदि जनजातियां निवास करती है, लेकिन इससे इतर नाथ (सपेरा), मोगिया और लड़ाइयामार जैसी घुमंतू जातियां भी हैं. जो आज भी जनजाति का दर्जा नहीं पा सकी है. यदि बात नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों की हो तो यह लोग आज भी काफी उपेक्षित है. गुरु गोरखनाथ को अपना मुख्य आराध्य मानने वाले नाथ संप्रदाय का मुख्य व्यवसाय सापों से जुड़ा हुआ है. ये विषैले सांपों को पकड़कर उन्हें अपनी बीन पर नचाते हैं. यही इनकी जीविका का साधन भी है. घर-घर जाकर बीन बजाकर और सापों को दिखाकर भिक्षा (भीख) में जो कुछ मिल जाता है, उसी से घर में चूल्हा जलता है. नागपंचमी, शिवरात्रि, तीज, सावन का महिना ही ऐसे महत्वपूर्ण दिन हैं, जब नाथ संप्रदाय के घरों में दीवाली होती है.

    नाथ संप्रदाय से जुड़े लोग बताते हैं कि उनके पूर्वज करीब 100 वर्ष पूर्व जिले में बसे थे. अब करीब 12 गांवों में नाथ संप्रदाय के लोग मौजूद हैं. जिनकी आबादी 2000 के आस-पास है. संख्या बल अत्यंत कम होने के कारण ही यह लोग अपनी मांग और समस्या उच्च स्तर तक नहीं पहुंचा पाते. नाथ संप्रदाय के लोगों के अनुसार उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों में नाथ संप्रदाय को अनुसूचित जनजाति में रखा गया है, लेकिन सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से पिछड़े होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में सामान्य वर्ग में शामिल हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ पीठ से जुड़े होने के कारण यह लोग उन्हें अपने संप्रदाय का बताते हुए उनसे कई अपेक्षाएं रखते हैं.

    हालांकि इस मामले को लेकर जब न्यूज18 ने जनपद के जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके जानकारी में यह मामला अब आया है. वह कोशिश करेंगे नाथ संप्रदाय के लोगों सरकारी योजनाओं का लाभ मिले.

    बहरहाल वोट बैंक के लिए जात-पात की लड़ाई तो खूब देखी, लेकिन कभी भी कोई संख्याबल से कमजोर तबके के लिए आगे नहीं आया. जहां तक बात नाथ सम्प्रदाय की है, तो बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में यह तो एक महज वानगी भर है. ऐसी कई जातियां और संप्रदाय के लोग आज भी मौजूद है, जो विकास से कोसों दूर हैं. क्यां सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन जातियों और संप्रदाय से जुड़े लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करेंगे? यह आने वाला समय ही तय करेगा.

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