शाश्वत सिंह
झांसी. आज यानी बुधवार से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हुई है. नव संवत्सर 2080 को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में नए साल को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. यहां इस दिन यह धूम-धाम से मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा के साथ एक अनोखी परंपरा जुड़ी हुई है. इस दिन लोग सबसे पहले नीम का पत्ता खाते हैं. नीम का पत्ता खाने के बाद ही कुछ और खाया या पीया जाता है.
मध्य प्रदेश के झांसी में भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है. यहां बड़ी संख्या में मराठी लोग रहते हैं. मराठा शासक ने लंबे समय तक यहां राज किया था. आज भी उनके वंशज यहां रहते हैं. राजा गंगाधर राव के वंशज शशांक नेवालकर ने बताया कि गुड़ी पड़वा के दिन नीम का पत्ता खाने की परंपरा की शुरुआत लोकमान्य तिलक के द्वारा की गई थी. इसका उद्देश्य यह था कि नीम की कड़वाहट से शरीर के सभी रोग दूर हो जाएंगे. नीम पूरे शरीर को निरोगी रखता है. इससे साल भर शरीर स्वस्थ्य रहता है.
घर के बाहर बांधा जाता है ध्वज
शशांक नेवालकर ने बताया कि गुड़ी पड़वा के दिन घर के बाहर एक ध्वज भी बांधा जाता है. बांस की लकड़ी के ऊपर एक लोटे को रखा जाता है. उस पर साड़ी लपेटी जाती है. इसके बाद ध्वज की पूजा की जाती है और घर के बाहर उसे स्थापित कर दिया जाता है. गुड़ी पड़वा के दिन कई प्रकार के मिष्ठान बनाए जाते हैं. साथ ही, पूरन पोली और श्रीखंड का भोग भी लगाया जाता है.
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