झांसी और उसके आसपास के इलाकों में घूमते अन्ना पशु यहां के लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत बने हुए हैं एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक झांसी में 65 हजार से अधिक आवारा पशु सड़कों पर और खेतों में घूम रहे हैं. यह आवारा पशु दिन हो या रात सड़कों पर घूमते रहते हैं कई बार आम लोगों को इनकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है.शहर के मुख्य चौराहों और सड़कों पर बैठे इन आवारा पशुओं की वजह से लंबे जाम भी लग जाते हैं.कई बार देर रात यात्रा करने वाले लोगों के एक्सीडेंट के कारण यह आवारा पशु बने हुए हैं.
लगभग 500 अन्ना पशुओं की रेलवे ट्रैक पर हुई मृत्यु
बात सिर्फ सड़कों की ही नहीं है, रेलवे प्लेटफार्म और रेलवे ट्रैक पर भी अक्सर यह आवारा पशु घूमते हुए नजर आ जाते हैं और ट्रेन की चपेट में आकर उनकी मृत्यु भी हो जाती है.झांसी से ग्वालियर, झांसी से ललितपुर, झांसी से उरई, खजुराहो से टीकमगढ़ व झांसी से बांदा के रेल सेक्शन पिछले कुछ महीनों से डेंजर जोन बन गए हैं. इसका कारण यहां पटरियों पर घूमने वाले छुट्टा जानवर हैं.आंकड़ों की बात करें तो सितंबर महीने में 268 और अक्टूबर महीने में 249 अन्ना पशुओं की मृत्यु रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से हुई है. रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह के अनुसार अन्य पशुओं के रेलवे ट्रैक पर आने की समस्या का समाधान लगातार किया जा रहा है.डेंजर जोंस में फेंसिंग की जा रही है और इसके साथ ही लोगों को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है.
बनाई जा रही है गौशालाएं
शहर में घूमने वाले अन्ना पशुओं के बारे में झांसी के महापौर रामतीर्थ सिंघल ने बताया कि एक ओर जहां प्रदेश सरकार द्वारा कई स्कीमें चलाई जा रही हैं तो वहीं नगर निगम द्वारा भी गौशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. ऐसी ही एक गौशाला है कान्हा उपवन जहां लगभग 550 आवारा पशुओं को रखा गया है.
(रिपोर्ट – शाश्वत सिंह)
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