रिपोर्ट : शाश्वत सिंह
झांसी. झांसी के जिला कारागार के कैदियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास लगातार जारी है. यहां अपनी सजा काट रहे या फिर फैसले का इंतजार कर रहे कैदियों के लिए शिक्षा की व्यवस्था जेल प्रशासन द्वारा की जा रही है. जेल में बंद बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. बच्चों को शिक्षित करने के लिए जेल को शिक्षा का मंदिर बनाया गया है, जिसके चलते कारागार की दीवारों पर भी हिंदी वर्णमाला, अंग्रेज़ी के अल्फाबेट्स और नंबर पेंट कर दिए गए हैं. इसका मकसद बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है.
जेल में अगर कोई ऐसा कैदी आता है, जिसके बच्चे बहुत छोटे हैं और उन बच्चों का ख्याल रखनेवाला कोई नहीं, तो ऐसे में उन छोटे बच्चों को मजबूरन जेल में रखना पड़ता है. इन बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इन्हें शिक्षा देने के साथ ही उनके भोजन और खेलने का भी इंतजाम किया जाता है. पूरी कोशिश की जाती है कि बच्चों को वैसा ही माहौल दिया जाए जैसा अन्य बच्चों को अपने घरों में मिलता है.
जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल ने बताया कि जेल सजा देने से ज्यादा लोगों को सुधारने की जगह है. कई बार छोटे बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ यहां आते हैं. अगर कोई बच्चा बहुत छोटा है और उनके माता-पिता के अलावा ख्याल रखने वाला कोई नहीं है तो बच्चों की देखरेख के लिए जेल में ही रखना पड़ता है. वर्तमान में जेल में 1523 पुरुष कैदी और 62 महिला कैदी बंद हैं. इनमें से 5 कैदियों के बच्चे जेल में ही रह कर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
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