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World Water Day : सूखे बुंदेलखंड की प्यास बुझा रही हैं यह 'जल सहेलियां, जानिए इनकी कहानी

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सम्मान

सम्मान प्राप्त करती जल सहेलियां

सदकरी के गांव की रहने वाली सीमा यादव ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही पानी की किल्लत का सामना किया है, अपनी मां की तरह उ ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- शाश्वत सिंह, झांसी

 झांसी: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र पानी की कमी से लंबे समय से जूझ रहा है. हर साल यहां सूखा पड़ जाता है. सूखे बुंदेलखंड की प्यास बुझाने का बीड़ा कुछ महिलाओं ने उठाया है. वह पिछले कई सालों से झांसी समेत बुंदेलखंड के कई जिलों में तालाब बनाने और नदियों को पुनर्जीवित करने का काम कर रही हैं. इन जल सहेलियों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल चुकी है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत कई हस्तियों द्वारा इन्हें विभिन्न अवसरों पर सम्मानित भी किया जा चुका है. विश्व जल दिवस के अवसर पर झांसी में भी दो जल सहेलियों को सम्मानित किया गया.

सदकरी के गांव की रहने वाली सीमा यादव ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही पानी की किल्लत का सामना किया है. अपनी मां की तरह उन्हें भी पानी भरने के लिए काफी दूर जाना पड़ता था. सीमा ने छोटे स्तर पर ही पानी बचाने का अभियान शुरू किया. घर से निकलने वाली पाइप से जो पानी लिक होकर बह जाता था, उसे उन्होंने बचाना शुरू किया. इसके बाद इस पानी को अपने घर के पीछे बने किचन गार्डन में इस्तेमाल करने लगी. इससे प्रोत्साहन मिला और इसके बाद उन्होंने परमार्थ समाज सेवी संस्थान के साथ मिलकर अपने गांव के एक तालाब को पुनर्जीवित किया.

नदी पर बनाया चेक डैम
इसी प्रकार बामेर गांव की भारती ने बताया कि उन्होंने भी आज से लगभग 7 साल पहले जल संरक्षण के लिए काम करने का फैसला लिया था. गांव में जो नालियां टूटी पड़ी थी, उन्हें ठीक करवाया. इसके साथ ही खेत की मेड भी ऊंची करवाई ताकि खेत का पानी खेत में ही रहे. इसके बाद उन्होंने अपने गांव के पास से गुजरने वाली एक नदी पर चेक डैम भी बनाए. इससे गांव की पानी की समस्या काफी हद तक कम हो गई. आज वह अपने गांव में पानी पंचायत भी चलाते हैं और जल संरक्षण के लिए लगातार काम कर रही हैं.

Tags: Jhansi news, Uttar pradesh news

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