रिपोर्ट- अखंड प्रताप सिंह
कानपुर: पूरे देश भर में होली 1 दिन खेली जाती है, लेकिन कानपुर में यह होली का त्योहार 7 दिनों तक यूं ही चलता रहता है. इस बार कानपुर में होली का समापन 13 मार्च को हो रहा है. 13 मार्च को अनुराधा नक्षत्र पर गंगा मेला का आयोजन किया जाता है. जिस दिन होली पर्व का समापन होता है. गंगा मेला वाले दिन कानपुर में लोग जमकर होली खेलते हैं.
जानिए क्यों मनाया जाता है यह गंगा मेला और क्या है इसका इतिहास
गंगा मेला महोत्सव समिति के ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया कि कानपुर में गंगा मेला बीते 81 सालों से मनाया जा रहा है. इस साल 82 व गंगा मेला महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इसके इतिहास की बात की जाए तो इसका इतिहास देश की आजादी से भी पुराना है. देश को 1947 में आजादी मिली थी, लेकिन कानपुर वासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1942 में ही क्रांति फूंक दी थी.
क्रांति से जुड़ा है गंगा मेला का महत्व
दरअसल, 1942 में होली में अंग्रेजों ने खोली ना खेलने के लिए फरमान जारी कर दिया. लेकिन कानपुर के युवा मंडली ने उस दिन होली खेली जिसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने उनको जेल में डाल दिया .जब यह सूचना शहर भर में पहुंची तो शहर में क्रांति की एक अलग जग गई. लोग घरों के बाहर निकल आए और होली खेलनी चालू कर दी. यह होली 5 दिन तक जारी रही जिसके बाद अंग्रेजी हुकूमत को हार माननी पड़ी और लोगों का मौलिक अधिकार बताकर गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा कर दिया गया.
अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा
जिस दिन लोगों को रिहा किया गया उस दिन अनुराधा नक्षत्र था बाहर आकर शहर में सब ने जमकर होली खेली. तब से कानपुर में या गंगा मेला का आयोजन किया जाने लगा. इस बार 13 मार्च को अनुराधा नक्षत्र पर गंगा मेला का आयोजन किया जा रहा है. इस दिन कानपुर के हटिया के राजन बाबू पार्क से रंगों ठेला निकाला जाता है. जो शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरता है. जहां पर लोग छतों से उस पर रंग डालते हैं और यह ठेला कानपुर की गंगा तक जाता है जहां का समापन होता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Kanpur news, Uttarpradesh news