मातारानी की कृपा से जब भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है तो वो अगले साल आकर ताला खोल लेते हैं.
कानपुर. देशभर में नवरात्र की धूम है. नवरात्र में माता के मंदिर सजाये जाते हैं. अलग-अलग मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं भी होती हैं. कानपुर में अलग मान्यताओं पर आधारित एक काली माता मंदिर है जिसमे बंगाली माहौल स्थित है. इस मंदिर में बनी मां काली की मूर्ति अद्भुत है, इसके मात्र दर्शन से ही कष्ट दूर हो जाते हैं. दरअसल, मान्यताओं के मुताबिक, यहां भक्त आकर ताले बांधते है और अपनी मन्नत मांगते है, मन्नत पूरी होने पर भक्त उस ताले को खोलकर पूजन व श्रृंगार करते हैं. प्राचीन काल में स्थापित इस मंदिर को औरंगजेब के समय का बताया जाता है. इसकी देख-रेख 1857 की क्रांति के समय से एक बंगाली परिवार कर रहा है.
कानपुर के काली माता मंदिर में नवरात्र के अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. भक्त यहां जंजीर में ताला लगाकर माता रानी से अपनी मन्नत मांगते हैं. माता रानी की कृपा से जब भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है तो वो अगले साल आकर ताला खोल लेते हैं. और फिर भक्त मंदिर में पूजन कर माता काली का श्रृंगार कराते हैं. मंदिर की देखरेख करने वाली संरक्षक सुप्रिया चटर्जी ने बताया कि यह प्राचीनकाल का मंदिर बताया जाता है, लोगों से सुनने में मिलता है कि काली माता का यह मंदिर औरंगजेब के समय में बनाया गया था. उसके बाद हमारा बंगाली परिवार गदर के जमाने 1857 के बाद से सेवा कर रहा है.
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