जालौन. अजगर करे न चाकरी, पंछी करै न काम, कह गए दास मलूका सबके दाता राम. बचपन में यह दोहा आपने भी पढ़ा होगा. उस समय इस दोहे का मतलब हमारे शिक्षक ने ईश्वर की महत्ता बताते हुए समझाई थी. पर आज जो स्टोरी हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे पढ़कर शायद आप मलूका दास से क्षमा मांगते हुए लिखना चाहें…अफसर करै न चाकरी, कर्मचारी करै न काम, कह गए दास मलूका सब भरोसे राम. जी हां! रविवार को एक अजगर के रेस्क्यू के लिए वन विभाग की टीम को सूचना दी गई, सूचना के बाद भी वहां न अफसर आए और न कर्मचारी. आइए आपको पूरा मामला बताते हैं…
दरअसल, यह पूरा मामला जालौन के उरई राजकीय मेडिकल कॉलेज का है. जहां कुछ लोग तब हक्का-बक्का रह गए, जब उन्हें एक पत्थर पर अजगर सुस्ताता हुआ दिखाई दिया. पहले लोगों को लगा कि वह मरा हुआ है, लेकिन हलचल देखकर लोग डर गए. 10 फीट लम्बे इस अजगर की सूचना लोगों के बीच आग की तरह फैल गई. देखते ही देखते काफी संख्या में लोग वहां एकत्रित हो गए और उसका वीडियो बनाने लगे. वीडियो को देखकर लग रहा है कि अजगर शिकार के बाद वहीं आराम फरमाने लगा था. अमूमन शिकार के बाद अजगर ऐसी जगह तलाशता है, जहां वह अपने भोजन को पचा सके.
कुछ लोगों ने अजगर होने की सूचना वन विभाग दी ताकि अजगर को वहां से सुरक्षित जगह पर ले जाया सके. लेकिन सरकारी कर्मचारी हर बार अपनी कार्यप्रणाली से यह सिद्ध कर देते हैं कि सरकारी कार्य कभी भी तेजी से नहीं हो सकते. सूचना मिलने के काफी देर बाद भी वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची. काफी देर तक लोग टीम का इंतजार करते रहे, इसके बाद अजगर पाइप के रास्ते से वहां से निकल गया.
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