रामायण कॉन्क्लेव की शुरुआत करते मुख्य अतिथि.
रिपोर्ट- अखंडप्रताप सिंह
कानपुर.कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहे रामायण कॉन्क्लेव का शुभारंभ शोभा यात्रा के साथ हुआ. दो दिवसीय कॉन्क्लेव के पहले दिन सोमवार को विवि परिसर जय श्रीराम के जयकारों से गुंजमान हो उठा. विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं अधिकारियों ने शोभयात्रा में हिस्सा लिया. मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, विशिष्ट अतिथि स्वामी मिथिलेश नंदनी शरण और कुलपति प्रो.विनय कुमार पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित किया.
इस खास मौके पर मुख्य अतिथि सतीश महाना ने कहा कि रामायण और विश्व के सबसे बड़े चरित्र प्रभु श्रीराम के जीवन से विनम्रता, शीतलता, शिष्यों का अपने गुरु के प्रति समर्पण और परंपरा की सीख मिलती है. यूआईईटी हॉल में हो रहे कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने रामायण के मूल्यों को समझाया. उन्होंने रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही. उन्होंने कहा कि रामायण राष्ट्र की धरोहर है. गंगोत्री से गंगासागर तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक राम हर मानव के मन में हैं. हर व्यक्ति को रामायण का अध्ययन करना चाहिए.
2047 तक देश बनेगा विश्वगुरु
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कार्यक्रम में युवाओं से कहा कि धर्म और संस्कृति से जुड़कर ही सफलता पाई जा सकती है. भारत 2047 तक विश्वगुरु बनेगा. इसके लिए युवाओं को आगे आकर अपनी संस्कृति को अपना कर आगे ले जाना होगा. उन्होंने कहा कि आज जो भी देश अव्वल पंक्ति में खड़े हैं उन्होंने भी समय के साथ बदलाव तो किए पर अपनी रीति रिवाजों और संस्कृति के साथ समझौता नहीं किया.
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