लखीमपुर खीरी. बीते साल लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) मामले के बाद अब इस इलाके में भाजपा की सियासी साख दांव पर है. यहां 23 फरवरी को मतदान होना है. 2017 के चुनाव में इस सीट से भाजपा के योगेश वर्मा ने समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा मधुर को 37 हजार वोटों से हराया था. लखीमपुर में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के मामले के बाद इस सीट पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की साख भी दांव पर लगी हुई है.
गौरतलब है कि टेनी स्थानीय सांसद हैं और किसानों की मौत मामले में एफआईआर में बेटे आशीष मिश्रा का नाम दर्ज किए जाने के बाद इस विवाद के केंद्र में भी हैं. दिलचस्प यह है कि भाजपा और सपा दोनों ने इस बार पुराने उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है. 2012 में सपा उम्मीदवार उत्कर्ष वर्मा मधुर ने बसपा के ज्ञान प्रकाश वाजपेयी को हराया था. कांग्रेस ने यहां से रविशंकर त्रिवेदी और बसपा ने मोहन वाजपेयी को मैदान में उतारा है.
लखीमपुर खीरी की आठ विधानसभा सीटों में मोहम्मदी, गोला गोरखनाथ, कास्ता, लखीमपुर, श्रीनगर, निगहासन, धौरहरा और पलिया कलान शामिल हैं. यहां कुल 28,02, 835 वोटर हैं. 2017 के चुनाव में भाजपा ने लखीमपुर खीरी की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. तीन अक्टूबर को लखीमपुर हिंसा में चार किसानों सहित कुल आठ लोगों की मौत हुई थी. आरोप है केंद्रीय गृहराज्य मंत्री आशीष मिश्रा के बेटे अजय मिश्रा पर था. इसी के बाद पूरे देश में यह मामला गूंजा. इसी मामले ने लखीमपुर की सियासत गर्म कर दी है. इस विधानसभा में अजय मिश्रा टेनी की साख दांव पर लग गई है.
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