आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेता एवं राज्य सभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) की सक्रियता उत्तर प्रदेश में ज्यादा बढ़ गई है. जैसे जैसे आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की सक्रियता बढ़ती जा रही है, वही विपक्ष के खेमे में तनाव बढ़ रहा है. उधर, सत्ताधारी पार्टी में चुप्पी साधे हुए है. जातिगत सर्वे कराने के मामले में आमआदमी पार्टी के नेता और यूपी प्रभारी संजय सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में राजद्रोह की धारा भी लगी है. हजरतगंज पुलिस ने रविवार को हाजिर होने का नोटिस भी दिया है.
नेता सुनील सिंह साजन दाल में काला बता रहे हैं. वे कहते हैं संजय सिंह ने पिछले महीने जब एसटीएफ को स्पेशल ठाकुर फोर्स कहा था तब उनपर एफआईआर हुई थी. जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार में यादव आयोग कहा गया था और कहा गया था कि थाने यादवों द्वारा ही चलता है. लेकिन अखिलेश यादव ने कोई एफआईआर नहीं कराई थी. साजन कहते हैं कि बीजेपी सरकार बहुत ही छोटी दिल वाली सरकार है.
विपक्ष का काम है मुद्दा उठाना. आम आदमी पार्टी अभी तक उन्हीं मुद्दों को उठा रही है, जो अभी तक समाजवादी पार्टी उठाती रही है. चाहे वो कोरोना किट घोटाला मामला रहा हो या फिर बेरोजगारी की पोल खोलने की। लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता पर कार्रवाई करने में योगी सरकार इतनी जल्दबाजी में क्यों है. दूसरी तरफ कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि आम आदमी पार्टी बीजेपी की एजेंट है. वे आरोप लगाते हुए कहते हैं कि दिल्ली दंगों की जांच निष्पक्षता से कराकर देख ली जाए.
सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सक्रियता बढ़ी नहीं है बल्कि बढ़ाई गई है. आप नेता की सक्रियता और उनपर की जा रही कार्रवाईयों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि स्क्रिप्ट कहीं और लिखी जा रही है. लेकिन बीजेपी इन सभी आरोपों से एक सिरे से इंकार करती है. यूपी बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि विपक्ष के नाते सब लोग कार्य कर रहे हैं ये तो जनता तय करेगी कि किसकी नीति नीयत और नेतृत्व कैसा है.
प्रदेश में चल रही राजनीतिक सरगर्मियों पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल भारद्वाज कहते हैं कि अगर आप कि सक्रियता उत्तर प्रदेश में बढ़ती है तो विपक्ष के लिए परेशानी का सबब होगा और सबसे ज्यादा घाटा समाजवाद पार्टी को होगा. वहीं बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित होगा. वे कहते हैं कि सरकार से नाराजगी वाला मतदाता अगर बंटता है तो फायदे में भाजपा ही रहेगी. इन सबके बीच राजनीतिक दलों के सभी खेमों में गहन मंथन चल रहा है और सबकी निगाहें आनेवाले उपचुनाव पर रहेगी. उपचुनाव का परिणाम और वोटिंग परसेंटेज मिशन 2022 की रणनीति तय करेंगे, क्योंकि लगभग सभी राजनीतिक दल उपचुनावी मैदान में ताल ठोकते हुए दिखाई दे रहे हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : September 19, 2020, 17:51 IST