रिपोर्ट – अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. क्या आपने कभी गायों को ब्यूटी पार्लर की तरह मसाज और स्पा लेते हुए देखा है? अगर नहीं तो News18 Local पर हम आपको एक अनोखी गौशाला दिखाने जा रहे हैं जहां गायों को यह सुविधा मिलती है. साथ ही सुबह और शाम गायों के टहलने के लिए अलग-अलग पार्क भी हैं. इतना ही नहीं ये गायें साधारण चारा नहीं बल्कि जड़ी बूटियां मिला दलिया और हरे पत्तों का चारा खाती हैं. और यह भी कि इस गौशाला में आपने इन्हें गाय या जानवर कह दिया तो आप पर जुर्माना भी लग सकता है.
इस गौशाला की खासियतें और भी हैं. यहां गायें दिनभर भजन भी सुनती हैं. गायों को गर्मी न लगे इसलिए पंखे भी लगे हुए हैं. हर एक गाय का एक नाम है. और ये कोई साधारण गायें नहीं बल्कि ‘गिर’ गायें हैं, जिनकी हिंदू धर्म में पूजा की जाती है. लखनऊ के पहाड़ नगर टिकरिया गांव में विनोद कृपा गौशाला के मालिक ने यहां अपने माता पिता और बहन की मूर्तियां लगाकर एक पूजाघर भी बनाया है.
2015 में बनी इस गौशाला के मालिक विशाल द्विवेदी हैं, जिन्हें बचपन से ही गायें पालने का शौक रहा. जब उनके पिता कृपाशंकर द्विवेदी ने कहा कि दो गाय से क्या होता है, सौ हों तो अच्छा रहे. यही बात विशाल के दिल को छू गई और अब इनके पास 200 से ज्यादा गिर गायें हैं. इन्होंने इसी गौशाला के परिसर में पिता कृपाशंकर, मां बाला और बहन मीनाक्षी की मूर्ति भी लगाई है.
दो एकड़ में बनी इस गौशाला में 90 बड़ी और 110 छोटी गायें हैं. इनकी सेवा के लिए 15 सेवक हैं, जो चारा डालने से लेकर गौशाला की साफ सफाई करते हैं. विशाल ने बातचीत में बताया कि वह पेशे से वकील हैं लेकिन अपना ज्यादातर वक्त गौशाला में देते हैं. लोगों की मांग पर गिर गाय का पौष्टिक दूध भी सप्लाई करते हैं. दूध में औषधीय गुण हों, इसके लिए गायों को शतावर, हल्दी, सौंठ और मकोय जैसी जड़ी बूटियां चारे में मिलाकर खिलाई जाती हैं.
इसके अलावा यहां गांव की 20 महिलाओं को रोज़गार देने की भी योजना है. महिलाएं यहां गोमूत्र और गोबर से पूजन सामग्री तैयार करेंगी, जो शुद्धता के दावे के साथ लोगों को उपलब्ध करवाई जाएगी. इसके अलावा यहां प्राकृतिक खाद भी तैयार की जा रही है.
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