नई दिल्ली. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election- 2022) के पहले चरण (First Phase) के लिए प्रत्याशियों (Candidates) के नामों का ऐलान शुरू हो गया है. आखिरकार एसपी-आरएलडी (SP- RLD Alliance) में भी अब सीटों के बंटवारे को लेकर बात बन गई है. गुरुवार को इस गठबंधन ने पहले चरण के चुनाव को लेकर कुल 29 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी. सूत्र बता रहे हैं जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच यूपी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में पेंच फंस गया था, लेकिन आखिरकार दोनों पक्षों में सहमति बन गई. हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि अभी भी पश्चिमी यूपी के कई सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव बरकरार है.
बता दें कि बीते बुधवार को भी दोनों दलों के नेताओं की बैठक में गठबंधन टूटने की स्थिति पैदा हो गई थी. बहुत ही मुश्किल से फिर से बैठक की बात कर मामला को सुलझाया गया. पिछले कई दिनों से अजीत सिंह के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी और चरण सिंह के खास शिष्य मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ था. आरएलडी नेताओं का कहना था कि अखिलेश यादव के रवैये के कारण बैठक में कोई फैसला नहीं हो पाया. चुनाव जब नजदीक आ गया है तो समाजवादी पार्टी रालोद को 25 सीट देने को राजी हो रही है, जबकि कुछ समय पहले तक 40 सीट रालोद को छोड़ने की बात हुई थी.
सीट बंटवारे में कहां फंस रहा है पेच
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और रालोद के जयंत चौधरी के बीच सीट बंटवारे को लेकर दो दौर की बैठकें हुईं थी लेकिन, कोई फैसला नहीं हो पाया. अखिलेश जहां पश्चिमी यूपी में रालोद के सिंबल पर अपने 8 उम्मीदवार लड़ाना चाहते थे, वहीं पूर्वी उतर प्रदेश में किए वादे के अनुसार रालोद के 4 उम्मीदवारों को सपा के सिंबल पर लड़ाने को राजी नहीं हो रही थी. जिन चार उम्मीदवारो कों सपा के सिंबल पर लड़ाने की बात हुई थी उसमें यूपी रालोद के अध्यक्ष मसूद अहमद और और भाजपा के पूर्व एमएलसी रामाशीष राय शामिल हैं. बता दें कि रामाशीष राय भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और कुछ महीनें ही पहले जयंत चौधरी की पार्टी रालोद में शामिल हुए थे.
क्या कहते हैं जानकार
यूपी की राजनीति को नजदीक से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘जहां तक मेरे पास जानकारी है कांग्रेस ने भी आरएलडी को 70 सीटों का ऑफर किया था, जबकि बीजेपी की तरफ से 25 सीट और डिप्टी सीएम के पद का ऑफर था. लेकिन, अखिलेश यादव की बातों पर भरोसा कर जयंत चौधरी ने दोनों ऑफर को ठुकरा कर सपा से गठबंधन का फैसला लिया. उस समय अखिलेश यादव ने 38 से 40 सीट रालोद को देने का वादा किया था.’
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पांडेय के अनुसार बेशक चरण सिंह के परिवार का प्रभाव संपूर्ण उतर प्रदेश में नहीं है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि पश्चिमी यूपी में चरण सिंह के परिवार का प्रभाव आज भी काफी है. जाटों के सबसे बड़े नेता पश्चिमी यूपी में जयंत चौधरी ही है, इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है. इस परिवार का प्रभाव सहारनपुर से लेकर आगरा-फतेहपुर सिकरी तक के इलाके के जाटों में है. अभी की राजनीतिक हालात में स्वामी प्रसाद मौर्य और ओम प्रकाश राजभर से भी बडा कद जयंत चौधरी का है.’
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