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तेजी से पिघल रहा अंटार्कटिका का 'डूम्सडे ग्लेशियर', लखनऊ के पर्यावरणविद ने 2015 में की थी भविष्यवाणी

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प्रोफेसर भरत राज सिंह अपनी लिखी हुई किताब climate change को दिखाते हुए.

लखनऊ के प्रोफेसर भरत राज सिंह ने वर्ष 2015 में दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चेताया था कि वो इस पर रिसर्च करें क्योंकि यह ...अधिक पढ़ें

    अंजलि सिंह राजपूत

    लखनऊ. दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर थ्वाइट्स पिघल रहा है. जिस दिन यह टूटेगा उस दिन विश्व के लिए प्रलय जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. यह भविष्यवाणी वर्ष 2015 में लखनऊ के प्रोफेसर भरत राज सिंह ने अपनी किताब में की थी. प्रोफेसर भरत राज सिंह ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को भी चेताया था कि वो इस पर रिसर्च करें क्योंकि यह बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. लेकिन उस वक्त किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. वर्ष 2020 के बाद जब यह ग्लेशियर धीरे-धीरे कर पिघलने लगा तो पूरी दुनिया के वैज्ञानिक अब इसको पिघलने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं.

    न्यूज़ 18 लोकल की टीम जब स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंस के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर भरत राज सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने अपनी किताब के साथ ही यह भी दिखाया कि उनके इस महत्वपूर्ण जानकारी के साथ एक चैप्टर पूरा विदेशों की स्कूल में पढ़ाया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी हो सके.

    आपके शहर से (लखनऊ)

    विदेशों में पढ़ाई जा रही प्रोफेसर की किताब
    प्रोसेसर भरत राज सिंह ने बताया कि उन्होंने दो किताबें लिखी थी जिनके नाम ‘Global warming, causes, impacts and remedies’ और climate change हैं. इसमें उन्होंने ग्लेशियर के पिघलने की वजह बताई थी. विदेशों में स्कूलों में एक किताब पढ़ाई जा रही है जिसका नाम है ‘Can glacier and ice melt be reversed’ इस किताब में ग्लेशियर पर सातवां चैप्टर उनकी किताब का लिया हुआ है.

    इतना खतरनाक है यह ग्लेशियर

    प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है जिसे डूम्सडे ग्लेशियर भी कहा जाता है. यह धीरे-धीरे कर पिघल रहा है. इसके नीचे की बर्फ पिघल चुकी है ग्लेशियर बर्फ के रूप में ऊपर लटका हुआ है यानी नीचे पूरा पानी बन चुका है. उन्होंने बताया कि नीचे से एक लाख 12 हजार वर्ग किलोमीटर बर्फ इसकी पिघल चुकी है. जिस दिन यह पूरा पिघल गया या टूट कर गिर गया उस दिन समुद्र में चार फीट तक पानी बढ़ जाएगा. ऐसे में प्रलय जैसे हालात बन जाएंगे. खास कर की जो तटीय समुद्री क्षेत्र हैं उन पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है.

    भारत में लगभग 40 प्रतिशत तटीय समुद्री क्षेत्र हैं. ऐसे में भारत को भी सचेत हो जाना चाहिए और सुरक्षित स्थानों को ढूंढने के लिए विकल्प खोजना चाहिए. यह भविष्यवाणी उन्होंने बहुत रिसर्च के बाद वर्ष 2015 में ही कर दी थी. साथ ही वैज्ञानिकों को चेताया था कि वो इस पर ध्यान दें, लेकिन तब किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. वर्ष 2020 में जब यह बात सच साबित हुई कि यह ग्लेशियर पिघल रहा है तब पूरी दुनिया भर के वैज्ञानिक इसे पिघलने से रोकने में जुट गए हैं.

    वैज्ञानिकों ने पाया है कि इसकी बर्फ तीन किलोमीटर तक की रफ्तार से पिघल रही है. अगर यह ग्लेशियर इसी रफ्तार से पिघलता रहा तो बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. इस पर अगर वर्ष 2015 में ही ध्यान दिया गया होता तो इसी धीमे-धीमे कर के तोड़ कर गिराया जा सकता था या कोई दूसरा विकल्प ढूंढा जा सकता था, लेकिन अब इसे रोक पाना काफी मुश्किल है.

    Tags: Antarctica, Glacier, Lucknow news, Up news in hindi

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