UP: लव जिहाद कानून पर लगी मुहर, धर्म परिवर्तन विधेयक विधान परिषद में भी पारित

विधान परिषद से भी धर्म सम्परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक पारित. (File)
Lucknow News: विधानसभा के बाद अब विधान परिषद से भी धर्म परिवर्तन कानून (Unlawful Religion Conversion Bill 2021 ) पारिस हो गया है. जबरन धर्मपरिवर्तन कराए जाने पर 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 7:57 PM IST
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम्परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक (Unlawful Religion Conversion Bill 2021 ) विधानसभा के बाद बृहस्पतिवार को विधान परिषद में भी पारित हो गया है. भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा गया. सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन और कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने इसमें कई खामियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजने का आग्रह किया. सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने इस विधेयक पर नेता विपक्ष और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा दिए गए संशोधन प्रस्तावों को नियमों के अनुकूल नहीं मानते हुए उन्हें खारिज कर दिया. इसके बाद उन्होंने सपा सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक को ध्वनिमत से पारित घोषित कर दी.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में नवंबर, 2020 में मंत्रिमण्डल की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेष अध्यादेश को मंजूरी मिली थी. इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
हाईकोर्ट में दी गई है चुनौती
बता दें इससे पहले धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. गौरतलब है कि योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है. जिसमें अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में धर्मांतरण कानून कानून के दुरुपयोग होने की आशंका जाहिर की गई है. याचिका में कहा गया है की इस कानून के जरिए समाज विशेष के लोगों को प्रताड़ित किया जाएगा, यह कानून विधि सम्मत नहीं है. साथ ही संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की गई है.ये भी पढ़ें: Chamoli Tragedy: अब ली जाएगी नेवी डाइवर्स की मदद, हादसे के बाद बनी झील की गहराई का पता लगाएंगे
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ये मांग की थी खारिज
याची अधिवक्ता रमेश कुमार के मुताबिक 25 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुने जाने की अर्जी दाखिल होने का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए समय मांगा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में किसी तरीके से रोक लगाने या हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए राज्य सरकार की मांग खारिज कर दी था.(भाषा इनपुट)
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में नवंबर, 2020 में मंत्रिमण्डल की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेष अध्यादेश को मंजूरी मिली थी. इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
हाईकोर्ट में दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ये मांग की थी खारिज
याची अधिवक्ता रमेश कुमार के मुताबिक 25 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुने जाने की अर्जी दाखिल होने का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए समय मांगा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में किसी तरीके से रोक लगाने या हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए राज्य सरकार की मांग खारिज कर दी था.(भाषा इनपुट)