रिपोर्ट : अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. ब्लड कैंसर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर है. ऐसे मरीजों को अब जांच, इलाज और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए किसी दूसरे सरकारी अस्पताल के न तो धक्के खाने होंगे न ही निजी अस्पताल में जाकर इसके लिए मोटी रकम देनी होगी.बल्कि अब ऐसे मरीज उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज यानी किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज करा सकते हैं.
बता दें कि केजीएमयू ने हेमेटोलॉजी विभाग में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू किया है. इस विभाग में प्रतिदिन ब्लड कैंसर के मरीज 200 से ज्यादा मरीज आते हैं. ऐसे में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू होने से ब्लड कैंसर के मरीजों को सस्ता और अच्छा इलाज यहां पर मिल जाएगा. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर ने बताया कि यह पहल केजीएमयू के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने की है. कोविड-19 के चलते केजीएमयू में यह सुविधा पहले बंद कर दी गई थी. इसके बाद अब दोबारा से इस सुविधा को शुरू किया गया है. ताकि मरीजों को परेशान न होना पड़े और उन्हें एक ही छत के नीचे पूरा इलाज मिल जाए.
डॉ. सुधीर ने बताया कि यूं तो ट्रांसप्लांट दो तरह से होता है लेकिन केजीएमयू में ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट होगा जिसमें मरीज के शरीर से ही स्टेम सेल ली जाती है. ट्रांसप्लांट से पहले मरीज ओपीडी में आता है, उसकी जांच होती है. फिर कीमोथेरेपी दी जाती है. इसके बाद बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है जिससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. अब तक चार मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जा चुका है जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
केजीएमयू प्रशासन के प्रवक्ता डॉ सुधीर का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने में करीब 2.5 लाख का खर्च आता है. जबकि निजी सेंटर में इस ट्रांसप्लांट में करीब 10 लाख रुपए मरीजों के खर्च होते हैं. गरीब मरीजों को राहत देने के लिए संस्थान पीएम-सीएम फंड से मरीजों का मुफ्त बोन मैरो ट्रांसप्लांट करेगा ताकि असाध्य रोग से जूझ रहे मरीजों को राहत मिल सके.
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