मायावती सरकार के दौरान स्मारक घोटाले में चार्जशीट दाखिल, 6 आरोपी 24 फरवरी को कोर्ट में तलब

BSP सुप्रिमो मायावती के शासनकाल में घोटाला होने का आरोप है. (File Photo)
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में 2007 से 2012 तक बसपा सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में स्मारकों का निर्माण किया गया था. अखिलेश सरकार के दौरान 2013 में लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में 14 अरब से ज्यादा का घोटाला होने की बात कही थी.
- News18Hindi
- Last Updated: February 12, 2021, 9:19 AM IST
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार (Mayawati Government) के दौरान हुए स्मारक घोटाला (Memorial Scam) मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. छह आरोपियों के खिलाफ एमपी/एमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई है. कोर्ट ने इसपर संज्ञान लेते हुए 6 आरोपियों को 24 फ़रवरी को तलब किया है. बता दें कि लोकायुक्त की रिपोर्ट में इसे 14 अरब रुपये से ज्यादा का घोटाला बताया गया है. सात साल पहले 1 जनवरी 2014 को विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज कराई थी.
बता दें कि यह मामला स्मारकों में सैंडस्टोन सप्लाई में करोड़ों के घपले से जुड़ा है. तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुहेल अहमद फ़ारुखी, पन्नालाल यादव, अशोक सिंह, इकाई प्रभारी अजय कुमार, सुनील त्यागी और होशियार सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की शासन से इजाजत भी मिल गई है. चार्जशीट के मुताबिक, एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष हरभजन सिंह समेत कुल 43 अधिकारियों के खिलाफ सबूत हैं. तत्कालीन मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अन्य मंत्री के खिलाफ विवेचना चलने का चार्जशीट में ज़िक्र है.
ये है पूरा मामला
बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में स्मारकों का निर्माण किया गया था. साल 2013 में लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि इसमें 14 अरब से ज्यादा का घोटाला हुआ है. कमीशन और घूसखोरी में रकम खर्च होने की बात सामने आई थी. ईडी इस केस में मनीलांड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रहा है.वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में पार्क और स्मारकों का निर्माण लोक निर्माण विभाग, नोएडा प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी ने करवाया था. आरोप है कि स्मारकों में लगे गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मीरजापुर से हुई थी, जबकि कागजों पर राजस्थान से दिखाई गई. इस मामले में विजिलेंस ने 1 जनवरी 2014 को गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी और 409 के तहत केस दर्ज किया गया था. इस घोटाले में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.
बता दें कि यह मामला स्मारकों में सैंडस्टोन सप्लाई में करोड़ों के घपले से जुड़ा है. तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुहेल अहमद फ़ारुखी, पन्नालाल यादव, अशोक सिंह, इकाई प्रभारी अजय कुमार, सुनील त्यागी और होशियार सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की शासन से इजाजत भी मिल गई है. चार्जशीट के मुताबिक, एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष हरभजन सिंह समेत कुल 43 अधिकारियों के खिलाफ सबूत हैं. तत्कालीन मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अन्य मंत्री के खिलाफ विवेचना चलने का चार्जशीट में ज़िक्र है.
ये है पूरा मामला
बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में स्मारकों का निर्माण किया गया था. साल 2013 में लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि इसमें 14 अरब से ज्यादा का घोटाला हुआ है. कमीशन और घूसखोरी में रकम खर्च होने की बात सामने आई थी. ईडी इस केस में मनीलांड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रहा है.वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में पार्क और स्मारकों का निर्माण लोक निर्माण विभाग, नोएडा प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी ने करवाया था. आरोप है कि स्मारकों में लगे गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मीरजापुर से हुई थी, जबकि कागजों पर राजस्थान से दिखाई गई. इस मामले में विजिलेंस ने 1 जनवरी 2014 को गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी और 409 के तहत केस दर्ज किया गया था. इस घोटाले में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.