सहारा और पर्ल्स के खिलाफ उतरी कांग्रेस.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में कांग्रेस (Congress) सक्रिय दिखने लगी है. कांग्रेस ने अब पूरे UP में सहारा और पर्ल जैसी कंपनियों द्वारा लाखों लोगों का पैसा हड़पने का दावा करते हुए इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है. जिसके तहत सहारा और पर्ल्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदेश के सभी जिलों में विरोध प्रर्दशन किया. साथ ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करने वाली योगी सरकार के साथ ही साथ सपा पर भी गरीबों का पैसा हड़पने वाली इन कंपनियों को संरक्षण का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा गया.
इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि ‘आज UP में सपा, बसपा जैसे अन्य विपक्षी दलों के बजाय सिर्फ कांग्रेस ही प्रियंका गांधी के नेतृत्व में गांव-गरीब, किसान-बेराजगार और शोषित-वंचितों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ती नजर आ रही है, जिसके चलते अब हमने सहारा और पर्ल्स ग्रुप की कंपनियों में आरडी और एफडी के जरिये फंसे करोड़ों लोगों के पैसे को भी उन्हें वापस दिलाने का फैसला किया है. यह इसलिए क्योंकि प्रदेश के करोड़ों गरीब मजदूरों, किसानों, रेहडी, ठेला और पटरी वालों ने बड़ी उम्मीद के साथ अपने बच्चों की शादियों, सुरक्षित भविष्य और एक छोटे से आशियाने के लिये एक-एक रुपया जोड़कर सहारा इंडिया और पर्ल्स में अपना पैसा जमा किया था, लेकिन आज उनकी पॉलिसी की मियाद काफी पहले ही पूरी हो जाने के चलते वह अपने पैसों की चाहत में रोज बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. उसे सहारा और पर्ल्स जैसी कंपनियों ने हड़प लिया. सरकार ने भी इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय चुप्पी साध ली है.’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने मुताबिक ‘सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉर्पोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) के जरिये 2.25 करोड़ निवेशकों से करीब 24 हजार करोड़ रुपये जुटाए. इसके बाद इन पैसों का कैसे और कहां इस्तेमाल किया गया? इसका कोई रिकार्ड नहीं है. जब सेबी ने जांच शुरू की तो पता चला कि कई निवेशक फर्जी थे. बाकी कंपनी का दूर-दूर तक पता नहीं था. पर्ल्स ग्रुप की कंपनी PACL की भी यही कहानी है.
इस रियल स्टेट कंपनी में प्लाटिंग-हाउसिंग की स्कीम के तहत पैसा जमा किया गया. RD, FD के नाम पर कंपनी द्वारा लोगों से अवैध तरीके से पैसा लिये जाने के आरोप में इसे सेबी ने 2014 को बंद कर दिया. और इसमें 5.85 करोड़ निवेशक होने के साथ इस पर 49 हजार 100 करोड़ रुपये की देनदारी का आरोप लगाया. हालाँकि 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी व सेबी को 6 माह में पैसे का भुगतान करने का आदेश दिया. लेकिन 6 वर्ष बाद भी आज तक सिर्फ 2% लोगों का अधूरा भुगतान ही किया गया है.
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