रिपोर्ट- अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ: 26 नवंबर 1949 यह वही तारीख है जब हमारे आजाद भारत को उसका संविधान मिल गया था. वहीं संविधान जो भारतीय नागरिकों को सिर उठाकर जीने का अधिकार प्रदान करता है. वर्ष 2015 को भारत सरकार ने संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाने की घोषणा की थी तब से लेकर आज 2022 तक हर साल 26 नवंबर को पूरा देश संविधान दिवस मनाता है. जिसे राष्ट्रीय कानून दिवस भी कहते हैं. भारतीय संविधान के निर्माण के समय उसकी 8 मूल प्रतियां तैयार हुई थीं. जिसकी एक कॉपी वर्तमान में लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी में रखी हुई है. आपको बताते चलें कि 26 जनवरी 1950 को जब भारतीय संविधान लागू हो गया था. हमारे देश में तब 1956 को देश के महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय में इसकी एक एक कॉपी भेजी गई थी. पार्लियामेंट ने लखनऊ विश्वविद्यालय को भी 1956 में एक मूल प्रति दी थी जो आज भी यहां पर मौजूद है.
यह भारतीय संविधान की मूल प्रति 16 इंच चौड़ी और 22 इंच लंबी है. इसमें 251 पेज है और इसके निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को माना जाता है. भारतीय संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लग गया था. लखनऊ विश्वविद्यालय के टैगोर लाइब्रेरी में रखी हुई भारतीय संविधान की मूल प्रति हमेशा से ही छात्र-छात्राओं के बीच में आकर्षण का केंद्र रही है. 26 नवंबर 1949 को जब इसे असेंबली में पेश किया गया था तो असेंबली के 284 सदस्यों ने इस पर अपने हस्ताक्षर किए थे. सबसे खास बात यह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसके एक-एक पन्ने को सजाने का काम आधुनिक कलाकार और आर्टिस्ट नंदलाल बोस को सौंपा था.
साथ ही प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने भारतीय संविधान को सुलेखित किया था. टैगोर लाइब्रेरी की सीनियर डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. ज्योति मिश्रा ने बताया कि भारतीय संविधान की मूल प्रति टैगोर लाइब्रेरी में रखी हुई है. यह गौरव की बात है. इसे बहुत संभाल कर रखा गया है ताकि छात्र छात्राएं इससे जुड़ी जानकारी जुटा सकें.
इसलिए मनाया जाता संविधान दिवस
2015 खास वर्ष था क्योंकि उस साल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125 वीं जयंती मनाई जा रही थी. आंबेडकर जयंती को बड़े पैमाने पर यादगार बनाने के लिए भारत सरकार ने साल भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की थी और इसी सिलसिले में 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया था कि संविधान दिवस सालाना मनाया जाएगा.
संविधान और उसका महत्व
संविधान दिवस का असल मकसद इसके निर्माताओं में शुमार और देश के पहले कानून मंत्री रहे डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देना है. भारत का संविधान असल में उन सिद्धांतों और दृष्टांतों का लेखा जोखा है, जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक राजनीतिक सिद्धांत, प्रक्रियाएं, अधिकार, दिशा निर्देश, प्रतिबंध और कर्तव्य तय होते हैं.
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